Sun, 29 December 2024 11:51:39pm
मुम्बई का गोवंडी इलाका इन दिनों प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। यहाँ की जनता को न केवल गंभीर श्वसन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि अपनी मांगों को अनदेखा किए जाने से वे बेहद खफा भी हैं। इस चुनावी सीजन में गोवंडी (पूर्व) के निवासी इस मुद्दे को हल न होते देख अपने क्षेत्र के उम्मीदवारों को सबक सिखाने की तैयारी में हैं। स्थानीय लोगों ने तय किया है कि वे आगामी 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों में 'नोटा' का बटन दबाएंगे। यह क्षेत्र अनुषक्ति नगर विधानसभा क्षेत्र में आता है।
गोवंडी में नीलकंठ गार्डन, ऑर्किड और अन्य मिडल क्लास हाउसिंग सोसाइटीज के निवासी पिछले चार साल से इस समस्या के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके अनुसार, दो रेडी मिक्स कंक्रीट (RMC) प्लांट्स द्वारा फैलाए गए वायु प्रदूषण के कारण इस इलाके में धुंध का वातावरण बना रहता है। लोगों ने बताया कि इन प्लांट्स के कारण उन्हें सांस संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई निवासियों ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB), म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ ग्रेटर मुंबई (MCGM) और अन्य संबंधित विभागों में हजारों मेडिकल प्रमाण पत्र भी जमा किए हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ।
नीलकंठ गार्डन को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के अध्यक्ष शंकर अय्यर ने बताया कि स्थानीय सांसद अनिल देसाई और अन्य नेताओं से संपर्क किया गया, लेकिन सिर्फ खोखले वादे ही मिले। उन्होंने कहा, "हमने हर संबंधित अधिकारी के दरवाजे पर दस्तक दी, लेकिन किसी ने भी हमारी समस्या को हल करने की कोशिश नहीं की।" हालांकि, पुलिस में शिकायत के बाद यह प्लांट रात 10 बजे के बाद बंद हो जाते हैं, लेकिन दिन भर और शाम को देर तक सीमेंट का धूल-धुआं पूरे इलाके में फैलता रहता है।
गोवंडी निवासियों ने अब बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की भी ठानी है। यह याचिका NGO अर्थ द्वारा वकील विक्रम सुतारे के माध्यम से दायर की गई है और इसमें JSW ग्रीन सीमेंट प्रा. लि., श्री ललित नागपाल रेडी मिक्स कंक्रीट और देव इन्फ्रा जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं। इनमें से एक प्लांट ने अपनी गतिविधियां निलंबित कर दी हैं, जबकि बाकी प्लांट पूरी क्षमता से चल रहे हैं। याचिका में निवासियों ने इस प्रदूषण समस्या को पूरी तरह से हल करने की मांग की है।
वकील सुतारे ने बताया कि पहले एक रिट याचिका दायर की गई थी, लेकिन चूंकि इस मामले में बड़े पैमाने पर लोगों के हित शामिल हैं, इसे अदालत के निर्देश पर जनहित याचिका में बदल दिया गया है। कई हाउसिंग सोसाइटीज भी इस मामले में हस्तक्षेप की याचिकाएं दाखिल करने की तैयारी कर रही हैं। अब अदालत की छुट्टियों के बाद इस मामले की सुनवाई होगी।
गोवंडी के निवासियों ने अपनी रणनीति को दो हिस्सों में बांटा है: एक ओर जहां वे चुनाव में 'नोटा' बटन का इस्तेमाल कर अपना विरोध जताएंगे, वहीं दूसरी ओर वे कोर्ट के माध्यम से अपनी आवाज उठाने की कोशिश करेंगे। यह प्रदूषण न केवल स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रहा है बल्कि निवासियों की रोजमर्रा की जिंदगी को भी बाधित कर रहा है। ऐसे में कोर्ट के फैसले और चुनावी परिणाम के बाद ही क्षेत्र की स्थिति पर कुछ सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।