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Related Tags: कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया, MUDA केस, लोकायुक्त पुलिस, पार्वती बी एम साइट आवंटन, कर्नाटक भ्रष्टाचार


कर्नाटक के सीएम सिद्दारमैया से लोकायुक्त पुलिस ने दो घंटे तक की पूछताछ, MUDA मामले में बढ़ीं मुश्किलें



अजय त्यागी 2024-11-06 02:37:45 कर्नाटक

कर्नाटक के सीएम सिद्दारमैया से लोकायुक्त पुलिस ने दो घंटे तक की पूछताछ, MUDA मामले में बढ़ीं मुश्किलें
कर्नाटक के सीएम सिद्दारमैया से लोकायुक्त पुलिस ने दो घंटे तक की पूछताछ, MUDA मामले में बढ़ीं मुश्किलें
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को लोकायुक्त पुलिस द्वारा दो घंटे तक पूछताछ के लिए बुलाया गया। उन पर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा कथित अवैध साइट आवंटन में संलिप्त होने के आरोप हैं। जानिए, इस मामले का सच क्या है और सिद्दारमैया पर लगे आरोप किस तरह से बढ़ रहे हैं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को बुधवार को मैसूर में लोकायुक्त पुलिस के समक्ष पूछताछ के लिए पेश होना पड़ा। यह पूछताछ मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के तहत साइट आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर हुई, जिसमें मुख्यमंत्री का नाम प्रमुख आरोपी के रूप में दर्ज है। लोकायुक्त पुलिस की टीम, जिसका नेतृत्व एसपी टी. जे. उदेश कर रहे थे, ने सिद्दारमैया से दो घंटे तक सवाल-जवाब किए।

सूत्रों के अनुसार, यह पूछताछ लोकायुक्त पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर के बाद की गई, जिसमें मुख्यमंत्री को आरोपी संख्या 1 के रूप में नामित किया गया है। एफआईआर में उन पर 14 साइटों का अवैध आवंटन करने का आरोप है। यह साइटें उनकी पत्नी पार्वती बी एम को आवंटित की गई थीं, जो कि प्रचलित नियमों का उल्लंघन माना जा रहा है।

क्या है MUDA का मामला?

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) का उद्देश्य शहरी विकास को बढ़ावा देना और नागरिकों को आवासीय सुविधाएं प्रदान करना है। किंतु इस मामले में आरोप है कि सिद्दारमैया ने अपने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग करके अपनी पत्नी को कुछ विशेष साइटें आवंटित कराईं। यह आरोप उन्हें भ्रष्टाचार के घेरे में खड़ा करता है और लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है।

लोकायुक्त पुलिस की यह कार्रवाई विपक्षी दलों द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद हुई है। सिद्दारमैया पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल का दुरुपयोग कर अपने परिवार के सदस्यों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने में सहायता की। इस प्रकरण में, राज्य के विपक्षी दलों ने जांच की मांग की थी, जिसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने कार्रवाई की।

कानूनी प्रक्रिया और जांच का स्वरूप

लोकायुक्त पुलिस ने अपनी जांच में सिद्दारमैया से संबंधित सभी दस्तावेजों और साक्ष्यों का बारीकी से अध्ययन किया है। जांच दल ने सिद्दारमैया से उनके आधिकारिक निर्णयों और कार्रवाईयों को लेकर सवाल पूछे, जिससे यह पता लगाने की कोशिश की जा सके कि क्या इसमें कानून का उल्लंघन हुआ है या नहीं।

लोकायुक्त पुलिस ने सिद्दारमैया से यह जानकारी मांगी कि साइट आवंटन प्रक्रिया में उनकी भूमिका क्या थी और क्या इसमें किसी प्रकार की अनियमितता हुई थी। जांच में सभी कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाए जा रहे हैं।

सिद्दारमैया की प्रतिक्रिया

सिद्दारमैया ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह एक राजनीतिक षड्यंत्र है और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा कानून का पालन किया है और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि में संलिप्त नहीं रहे हैं। सिद्दारमैया ने यह भी कहा कि वह इस जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं और उन्हें विश्वास है कि सच्चाई सामने आएगी।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

इस प्रकरण को लेकर विपक्षी दलों ने सिद्दारमैया पर कड़ा प्रहार किया है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने मुख्यमंत्री पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है और उनके इस्तीफे की मांग की है। विपक्ष का कहना है कि अगर सिद्दारमैया पर लगे आरोप सत्य सिद्ध होते हैं, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ देना चाहिए।

लोकायुक्त पुलिस की अगली कार्रवाई

लोकायुक्त पुलिस इस मामले में सभी पहलुओं की जांच कर रही है और सिद्दारमैया की प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जांच का निष्कर्ष आने तक सभी तथ्यों की गहनता से जांच की जाएगी। फिलहाल, मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय में भी इसकी याचिका दायर की जा सकती है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस की यह जांच राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ले सकती है। इस मामले में आगे क्या होता है, यह देखना बाकी है। अगर सिद्दारमैया निर्दोष साबित होते हैं, तो यह उनके राजनीतिक करियर के लिए राहत की बात होगी, लेकिन अगर आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह उनके लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।