Sun, 29 December 2024 11:19:22pm
ऑस्ट्रेलिया ने बच्चों की सुरक्षा के लिए सोशल मीडिया उपयोग पर बड़ा कदम उठाते हुए 16 साल से कम उम्र के बच्चों पर बैन लगाने का प्रस्ताव पेश किया है। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस का यह कदम दुनियाभर में बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर पुनर्विचार करने का मुद्दा बन सकता है।
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने देश में सोशल मीडिया पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने घोषणा की है कि अगले सप्ताह संसद में एक नया कानून प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स का उपयोग करने से प्रतिबंधित करने का प्रावधान होगा। इस प्रस्ताव के तहत, मेटा, गूगल, टिकटॉक और X (पूर्व ट्विटर) जैसी सोशल मीडिया कंपनियों पर यह जिम्मेदारी होगी कि वे इस नियम का पालन सुनिश्चित करें।
इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य है कि सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से बच्चों की मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके। यह प्रस्ताव इस बात का संकेत है कि ऑस्ट्रेलिया अब दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल हो जाएगा, जो बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग को नियंत्रित करने के लिए सख्त कानून बना रहे हैं।
इस नियम के अनुसार, बच्चों के माता-पिता की अनुमति भी इस प्रतिबंध को बदलने में सहायक नहीं होगी। अर्थात, किसी भी स्थिति में 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखा जाएगा। यह निर्णय कई शोध अध्ययनों और रिपोर्ट्स पर आधारित है जो दिखाते हैं कि सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, अवसाद और तनाव का कारण बन सकता है।
इस प्रस्ताव के अनुसार, कानून पारित होने पर मेटा, गूगल, टिकटॉक, और X जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कानूनी रूप से यह जिम्मेदारी होगी कि वे इस नियम का सख्ती से पालन करें। सोशल मीडिया कंपनियों को सुनिश्चित करना होगा कि वे 16 साल से कम उम्र के उपयोगकर्ताओं को उनके प्लेटफार्म्स पर अनुमति नहीं दें।
इस प्रस्ताव पर ऑस्ट्रेलिया में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। कुछ लोग इसे बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि इससे बच्चों के सीखने और संचार के अवसरों में कटौती हो सकती है। लेकिन प्रधानमंत्री अल्बनीस का कहना है कि यह कदम बच्चों को ऑनलाइन खतरों से सुरक्षित रखने के लिए अनिवार्य है।
ऑस्ट्रेलिया का यह निर्णय अन्य देशों के लिए भी एक नजीर साबित हो सकता है, जो अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर नियमन लागू करने पर विचार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम बच्चों को साइबरबुलिंग, ऑनलाइन शोषण और अन्य खतरों से बचाने में सहायक हो सकता है।
इस प्रस्ताव का असर न केवल बच्चों पर, बल्कि सोशल मीडिया कंपनियों के व्यापारिक मॉडल पर भी पड़ेगा। कंपनियों को अपने प्लेटफार्म्स पर उम्र की पुष्टि और निगरानी के लिए नए उपाय लागू करने होंगे। कंपनियों के लिए भी यह एक चुनौती होगी कि वे बच्चों को अपने प्लेटफार्म्स से दूर रखने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक बदलाव करें।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम बच्चों के मानसिक विकास और सुरक्षा के लिए एक सार्थक प्रयास है। इस कानून का असर न केवल ऑस्ट्रेलिया में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी देखा जा सकता है, जहां अन्य देश भी इसे एक उदाहरण के रूप में अपनाने पर विचार कर सकते हैं।