Wed, 01 January 2025 10:26:27pm
चिन्मय मिशन, जो भारत का एक प्रमुख आध्यात्मिक संगठन है, ने मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन में सुधार के लिए एक विशेष पहल की है। हाल ही में नोएडा में आयोजित एक सेमिनार-सह-कार्यशाला में मिशन के वरिष्ठ कार्यकर्ता स्वामी चिद्रुपानंद ने शिक्षकों और शिक्षकों के नेताओं को मानसिक स्वास्थ्य सुधार हेतु मार्गदर्शन और प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
चिन्मय मिशन की तनाव प्रबंधन की पहल
चिन्मय मिशन, जो दुनियाभर में आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करता है, ने इस कार्यशाला के माध्यम से बताया कि वर्तमान समय में मानसिक स्वास्थ्य को सुधारना अत्यंत आवश्यक है। इस कार्यक्रम में उन्होंने शिक्षकों को निर्देश दिया कि मानसिक तनाव को कम करने के लिए सबसे पहले जीवन में अपेक्षाओं को कम करना आवश्यक है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी मानसिक शक्ति को बचा कर अपने भीतर की ऊर्जा का संरक्षण कर सकता है।
"अपेक्षा करें लेकिन आग्रह न करें" - तनाव से निपटने का सुझाव
सेमिनार के दौरान स्वामी चिद्रुपानंद ने इस बात पर जोर दिया कि "अपेक्षा करें लेकिन आग्रह न करें" का मंत्र अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन में तनाव से बच सकता है। उन्होंने बताया कि कठोर अपेक्षाओं से दूर रहना और ज्ञान को रूपांतरित करने के साधन के रूप में उपयोग करना मानसिक शांति की ओर ले जाता है।
"समग्रता में उत्कृष्टता" - NCR के 65 से अधिक स्कूलों के शिक्षकों की भागीदारी
"इवोकिंग एक्सीलेंस: होलनेस इन एजुकेशन: स्पिरिचुएलिटी, सेल्फ-केयर, एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट" नामक इस सेमिनार में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के 65 से अधिक स्कूलों के प्रधानाचार्य और शिक्षक उपस्थित थे। स्वामी जी ने समाज में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों का जिक्र करते हुए पूछा, "हम ऐसे क्यों हैं?" और "हम समाज में ऐसी समस्याओं का सामना क्यों करते हैं?" इन सवालों पर विचार करते हुए, प्रतिभागियों ने आध्यात्मिक चेतना की कमी को समाज की एक प्रमुख समस्या के रूप में स्वीकार किया।
आध्यात्मिकता के माध्यम से आंतरिक शक्ति को जागृत करना
स्वामी जी ने इस बात पर जोर दिया कि आध्यात्मिकता एक ऐसी ऊर्जा है जो हमारे अंदर की शक्ति को सही दिशा देती है। यह हमारे समस्या-समाधान के कौशल को बढ़ाती है और हमें तनावपूर्ण स्थितियों में संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। उन्होंने शिक्षकों को प्रेरित किया कि अपने ज्ञान को केवल जानकारी के रूप में न रखें, बल्कि इसे अपने जीवन में अमल में लाने का प्रयास करें।
आत्म-देखभाल और संतुलन की महत्ता
कार्यशाला में स्वामी चिद्रुपानंद ने आत्म-देखभाल के विषय में गलतफहमियों को दूर करते हुए समझाया कि आत्म-देखभाल का अर्थ केवल स्वार्थ नहीं है बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने का एक साधन है। उन्होंने भगवद गीता के अध्याय 6, श्लोक 17 का उल्लेख करते हुए बताया कि दैनिक गतिविधियों में संयम का अभ्यास करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
तनाव प्रबंधन में आत्म-जागरूकता और संतुलन का महत्व
स्वामी चिद्रुपानंद ने इस सत्र में बताया कि बाहरी परिस्थितियों की तुलना में आंतरिक संघर्ष ही तनाव का मुख्य कारण होता है। उन्होंने शिक्षकों को सुझाव दिया कि वे जीवन के जरूरी कार्यों को प्राथमिकता दें, हर परिस्थिति में जागरूकता बनाए रखें, और अन्य लोगों से सीखें। इन सरल आदतों को अपनाकर शिक्षकों के लिए एक संतुलित जीवन जीना संभव हो सकता है।
Chinmay Mission ,Noida and Ahlcon International School organised 6th Evoking Excellence ,a leadership seminar for school leaders and teachers. @ashokkp @Ahlconpublic1 @MamthaSays @monikakarnatac @seemasoniaps @GanguliKuhu pic.twitter.com/Q5DOT15yAJ
— AHLCON PUBLIC SCHOOL (@PublicAhlcon) November 10, 2024