Sun, 29 December 2024 11:15:22pm
कोलकाता हाई कोर्ट ने 'ऑनलाइन लीगल इंडिया' नामक वेबसाइट के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों पर एक महत्वपूर्ण आदेश सुनाया। अदालत ने आरोपियों की ओर से दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया, और कहा कि इस मामले में धोखाधड़ी के पर्याप्त प्रमाण हैं, जिससे जांच जारी रहनी चाहिए।
मामला क्या है?
यह मामला उस समय सामने आया जब एक महिला, मंजू शर्मा ने आरोप लगाया कि 'ऑनलाइन लीगल इंडिया' वेबसाइट के माध्यम से उसे धोखा दिया गया। मंजू ने एक क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवाने के लिए इस वेबसाइट से संपर्क किया था, लेकिन उन्हें न तो सहायता मिली और न ही उनकी रकम वापस की गई। वेबसाइट पर काम करने वाले शख्स, राजेश केवट पर धोखाधड़ी का आरोप है।
क्या आरोप लगाए गए थे?
मंजू शर्मा के अनुसार, जनवरी 2023 में उन्हें एक फोन कॉल आया जिसमें बताया गया कि अगर वह अपने कोटक महिंद्रा क्रेडिट कार्ड को सक्रिय करती हैं तो उन्हें एक गिफ्ट वाउचर मिलेगा। लेकिन, इसके बाद उनके खाते से ₹12,000 की अनधिकृत डेबिट हुई। मदद के लिए मंजू ने 'ऑनलाइन लीगल इंडिया' से संपर्क किया और ₹1,179 की फीस देकर उन्हें एफआईआर दर्ज कराने का वादा किया गया। लेकिन, न तो एफआईआर दायर की गई और न ही कोई सेवा प्रदान की गई।
जांच और कोर्ट का आदेश
हाई कोर्ट के न्यायाधीश अजय कुमार गुप्ता ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जांच के दौरान यह साबित हुआ कि इस वेबसाइट और इसके संचालक, राजेश केवट ने कई अन्य लोगों को भी इसी तरह धोखा दिया है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि प्रारंभिक जांच में धोखाधड़ी का मामला स्थापित हुआ है और मामले को रद्द करना उचित नहीं होगा।
राजेश केवट की दलील
राजेश केवट ने कोर्ट में यह दलील दी कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं और यह मामला व्यक्तिगत द्वेष के कारण उन्हें परेशान करने के लिए दायर किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि मंजू शर्मा और अन्य लोग उनके खिलाफ झूठे आरोप लगा रहे हैं।
राज्य का पक्ष
राज्य ने केवट की याचिका का विरोध किया और कहा कि 'ऑनलाइन लीगल इंडिया' ने कई व्यक्तियों को धोखा दिया है। राज्य का कहना था कि इस कंपनी ने लोगों से फीस वसूलने के बाद उनकी मदद करने का वादा किया था, लेकिन उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की। राज्य ने कोर्ट से जांच जारी रखने की अपील की।
कोर्ट का निर्णय
अंततः, कोर्ट ने राजेश केवट की याचिका खारिज करते हुए मामले की जांच जारी रखने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोपों के पर्याप्त आधार हैं और आरोपी के खिलाफ जांच पूरी होने तक राहत प्रदान नहीं की जा सकती।
वकील और पक्षकार
राजेश केवट की ओर से वकील हिंदोल नंदी, सतारूपा सरकार और स्वर्णव मुखर्जी ने मामले की पैरवी की, जबकि राज्य की ओर से रुद्रदीप्त नंदी और संजना साहा ने अदालत में तर्क दिए।