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कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न: अंतिम रिपोर्ट पर रोक के अधिकार पर कर्नाटक हाईकोर्ट का बड़ा फैसला



अजय त्यागी 2024-11-14 03:22:49 कर्नाटक

प्रतीकात्मक फोटो : Internet
प्रतीकात्मक फोटो : Internet
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कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 (POSH Act) के तहत अपीलीय प्राधिकरण को आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की अंतिम रिपोर्ट पर रोक लगाने का अधिकार देने का एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।

मामले का मूल विवाद
यह मामला नागराज जी.के. नामक व्यक्ति द्वारा दाखिल याचिका पर आधारित है, जिन्होंने आरोप लगाया था कि उनके खिलाफ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के आरोपों में झूठा मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने आंतरिक समिति की रिपोर्ट के खिलाफ अपीलीय प्राधिकरण में चुनौती दायर की थी।

अंतरिम राहत की मांग
याचिकाकर्ता ने अदालत से निवेदन किया कि जब तक अपील पर अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक अंतरिम राहत दी जाए। उन्होंने तर्क दिया कि POSH Act की धारा 18 में स्पष्ट प्रावधान न होने के बावजूद, अपीलीय प्राधिकरण को इस प्रकार की राहत देने का अधिकार होना चाहिए।

अदालत का तर्क और निर्णय
न्यायमूर्ति सुनील दत्त यादव ने पाया कि POSH Act में अंतरिम राहत को लेकर कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं है। न्यायालय ने माना कि जहां स्पष्ट नियम न हो, वहां अपीलीय प्राधिकरण के पास अंतरिम आदेश जारी करने का अधिकार समझा जा सकता है। इस पर न्यायालय ने आदेश दिया कि अपीलीय प्राधिकरण इस अंतरिम राहत पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय ले।

कानूनी दृष्टिकोण
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून का पालन करते हुए किसी भी निर्णय पर प्रभाव न पड़े, इसलिए बिना स्थायी निर्णय में हस्तक्षेप किए यह आदेश दिया गया। इस ऐतिहासिक निर्णय से कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों में अंतरिम राहत का प्रावधान खुल सकता है।


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