Mon, 30 December 2024 12:11:14am
कल रात उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एक भयावह हादसा हुआ, जिसमें बच्चा वार्ड में आग लगने से दस नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें घायल नवजातों को लेकर परिजन असहाय होकर इधर-उधर भागते नजर आ रहे हैं। इस घटना ने पूरे प्रदेश में शोक और आक्रोश की लहर दौड़ा दी है।
कैसे हुआ हादसा
जानकारी के अनुसार, रात लगभग 10:45 बजे मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा कक्ष (NICU) में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी। ऑक्सीजन युक्त वातावरण होने के कारण आग तेजी से फैल गई, जिससे वहां भर्ती 54 बच्चों में से 10 नवजातों की जान चली गई। करीब 35 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया और उनका इलाज जारी है। अस्पताल के अधीक्षक सचिन माहौर ने बताया कि यह आग ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट से लगी थी, हालांकि इसकी विस्तृत जांच की जा रही है।
फायर अलार्म नहीं बजा
आग लगने के बावजूद अस्पताल का फायर अलार्म सिस्टम बज नहीं पाया। फायर सेफ्टी की इस चूक ने मामले को और गंभीर बना दिया है। आपदा प्रबंधन और फायर सेफ्टी के अभाव को लेकर प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए जा रहे हैं। राज्य के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि अस्पताल प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
डीएनए परीक्षण की आवश्यकता
सभी मृत नवजात बच्चों की पहचान नहीं हो सकी है, इसलिए राज्य सरकार ने कहा है कि पहचान के लिए जरूरत पड़ने पर डीएनए टेस्ट भी करवाए जाएंगे। झांसी के जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि 10 मृत बच्चों में से सात की पहचान हो चुकी है, जबकि तीन के परिवारों को डीएनए टेस्ट से पहचाना जाएगा। यह हादसा परिवारों के लिए एक भयानक त्रासदी बनकर सामने आया है।
घायलों का इलाज और सरकार का आश्वासन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को अत्यंत दुखद बताते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदनाएं प्रकट की हैं। उन्होंने सभी घायलों को समुचित इलाज देने और प्रशासन को तत्काल राहत और बचाव कार्यों में जुटने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने प्रत्येक मृत बच्चे के परिवार को मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये देने की घोषणा की है।
विपक्ष और जनता का आक्रोश
इस दर्दनाक हादसे ने जनता के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन की ओर से दी जा रही राहत की घोषणाओं के बावजूद, लोग अस्पतालों में लचर फायर सेफ्टी सिस्टम पर सवाल उठा रहे हैं। घटना के वीडियो ने इस हादसे की भयानकता को और बढ़ा दिया है, जिससे लोगों में असंतोष का माहौल है।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
भारत में इससे पहले भी इस तरह के हादसे हो चुके हैं। साल 2021 में महाराष्ट्र के भंडारा अस्पताल में और इसी साल दिल्ली में भी बच्चों के अस्पताल में आग लगने से कई नवजातों की मौत हो गई थी। इन घटनाओं के बावजूद, अस्पतालों में फायर सेफ्टी को लेकर अब तक कड़े कदम नहीं उठाए गए हैं।
झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए इस हादसे ने चिकित्सा सेवाओं में सुरक्षा प्रबंधन की गंभीर कमी को उजागर किया है। यह घटना एक बार फिर से अस्पतालों में सुरक्षा और फायर सेफ्टी सिस्टम की जरूरत को रेखांकित करती है। अस्पतालों में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।