Sun, 29 December 2024 11:22:34pm
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के चेयरमैन से उन देरी पर स्पष्टीकरण मांगा है जो कि हाईवे परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित भूमि के मुआवजे में हो रही हैं। शिव पाल सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में, कोर्ट ने NHAI के मुआवजा वितरण में देरी को लेकर चिंता जताई है और इसे "अप्राकृतिक देरी" करार दिया है।
अदालत का निर्देश और NHAI के जवाब में खामियां
न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि मुआवजा आवंटन होने के बावजूद राशि संबंधित अधिकारियों को ट्रांसफर नहीं की जा रही है। कोर्ट के आदेश के अनुसार, यह एक आम प्रथा बन गई है जो कि प्रभावित लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर रही है।
नियमों का उल्लंघन और मुआवजा वितरण प्रक्रिया में खामियां
न्यायालय ने "राष्ट्रीय राजमार्ग नियम, 2019" के नियम 3 का उल्लेख किया, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि मुआवजे की राशि मुआवजे की घोषणा से पहले सक्षम प्राधिकारी को ट्रांसफर की जानी चाहिए। यह मुआवजा वितरण को तेजी से संभव बनाने के लिए अनिवार्य है ताकि प्रभावित जमीन मालिकों को आरबीआई नियमों के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान हो सके।
मुआवजे में देरी पर NHAI की प्रतिक्रिया
NHAI के वकील ने कोर्ट में यह जानकारी दी कि मुआवजे की राशि NHAI के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा मंजूर की गई है, लेकिन अभी तक इसे सक्षम प्राधिकारी को स्थानांतरित नहीं किया गया है। वकील ने कुछ और समय की माँग की ताकि मुआवजे का वितरण सुनिश्चित किया जा सके। कोर्ट ने इस देरी पर आपत्ति जताई और NHAI के चेयरमैन को आदेश दिया कि वे इस देरी के कारणों और भविष्य में इसे रोकने के उपायों पर कोर्ट में अपना बयान पेश करें।
भविष्य की सुनवाई और अन्य निर्देश
कोर्ट ने NHAI के चेयरमैन से यह स्पष्टीकरण मांगा है कि इस मामले में मुआवजा वितरण के लिए आवश्यक निधि कैसे और कब मंजूर की गई। साथ ही, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि NHAI मुआवजा वितरण के लिए निर्धारित किसी भी गाइडलाइन या समय-सीमा की जानकारी कोर्ट को प्रस्तुत करे। मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को निर्धारित की गई है।
कानूनी पक्ष और वकीलों की भूमिका
मामले में शिव पाल सिंह और अन्य 17 याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अखिलेश कुमार मिश्रा ने पैरवी की। वहीं, यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (ASGI) राजेश कुमार जयसवाल और अधिवक्ता महेंद्र प्रताप ने पक्ष रखा। NHAI की ओर से अधिवक्ता वैभव त्रिपाठी ने प्रतिनिधित्व किया।
निष्पक्षता का आग्रह
यह मामला इस बात को दर्शाता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के तहत अधिग्रहीत भूमि के मुआवजे में देरी से प्रभावित भूमि मालिकों के अधिकारों का हनन होता है। अदालत का यह फैसला उन अन्य मामलों के लिए भी एक सन्देश है जहां मुआवजा देने में अनावश्यक देरी की जाती है। अदालत ने न केवल न्याय को सुनिश्चित किया है बल्कि सरकारी एजेंसियों को जवाबदेह भी बनाया है।