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शर्मनाक घटना: ओडिशा के बलांगीर में आदिवासी महिला के साथ बर्बरता- मुंह में ठूस दिया मानव मल



अजय त्यागी 2024-11-21 02:49:53 उड़ीसा

प्रतीकात्मक फोटो : Internet
प्रतीकात्मक फोटो : Internet
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ओडिशा के बलांगीर जिले में एक 20 वर्षीय आदिवासी महिला के साथ हुई अमानवीय घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। इस घटना में महिला के साथ ना केवल सार्वजानिक बलात्कार और मारपीट की गई, बल्कि मानव मल भी जबरदस्ती उसके मुंह में डाल दिया गया। यह कृत्य उस समय हुआ जब महिला ने अपनी कृषि भूमि पर एक ट्रैक्टर के प्रवेश पर विरोध किया था।

घटना का विवरण:
16 नवंबर को बलांगीर जिले के जुड़ाबांधा गांव में हुई इस घटना में आरोपी, जिसका नाम अभय बाग है, महिला के खेत में ट्रैक्टर चला रहा था, जिससे उसकी फसलें नष्ट हो रही थीं। जब महिला ने इसका विरोध किया, तो आरोपी ने उसे बुरी तरह से पीटा, सार्वजानिक रूप से उसका बलात्कार किया और फिर उसके मुंह में मानव मल डाल दिया। इस दौरान महिला की चाची भी सहायता के लिए आईं, लेकिन आरोपी ने उन्हें भी पीटने की कोशिश की और गला घोंटने की भी कोशिश की। महिला और उनकी चाची ने बाद में इस मामले की रिपोर्ट बांगोमुंडा पुलिस थाने में दी​।

पुलिस कार्रवाई और आरोपी की तलाश:
पुलिस ने इस घटना के बाद आरोपी के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। हालांकि, आरोपी, अभय बाग, घटना के बाद से फरार है। बलांगीर के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि आरोपी को पकड़ने के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है और पुलिस की टीमें पड़ोसी राज्यों में भी भेजी गई हैं​।

विपक्षी दलों का विरोध:
इस घटना के सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने ओडिशा सरकार की कड़ी आलोचना की है। भुवनेश्वर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीजद सांसद निरंजन बिसी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने मामले में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिससे आदिवासी समुदाय में गुस्सा फैल गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने आदिवासियों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों पर ध्यान नहीं दिया​।

समाज और राज्य की स्थिति:
आदिवासी महिला के साथ हुए इस अत्याचार ने न केवल बलांगीर जिले बल्कि पूरे राज्य में एक उबाल पैदा कर दिया है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि आदिवासी समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा और उत्पीड़न को लेकर राज्य सरकार की लापरवाही जिम्मेदार है। घटनास्थल पर पुलिस की निष्क्रियता ने मामले को और गंभीर बना दिया है​।

यह घटना ओडिशा में आदिवासियों के खिलाफ बढ़ती हिंसा का स्पष्ट उदाहरण है। अब देखने वाली बात यह होगी कि पुलिस इस मामले में कैसे कार्रवाई करती है। राज्य सरकार को इस प्रकार की घटनाओं के प्रति अपनी नीति और कार्यप्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है।