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अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का बड़ा कदम: इजरायल पर कसा शिकंजा: नेतन्याहू और गैलेंट पर गंभीर आरोप



अजय त्यागी 2024-11-21 06:24:17 अंतर्राष्ट्रीय

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय - Photo : Internet
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय - Photo : Internet
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इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने गहरे आरोप लगाए हैं। इन आरोपों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी चर्चा छेड़ दी है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि इजरायल ने ICC के अधिकार क्षेत्र को ही चुनौती दे दी? आइए, विस्तार से जानते हैं।

इजरायल की चुनौतियां और ICC का दावा
ICC के अनुसार, नेतन्याहू और गैलेंट पर 8 अक्टूबर 2023 से 20 मई 2024 के बीच गाजा पट्टी के नागरिकों के खिलाफ युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध करने के आरोप हैं। इनमें भोजन, पानी और दवाइयों जैसे जीवन-जरूरी साधनों से लोगों को वंचित करना शामिल है। इजरायल ने इन आरोपों को नकारते हुए ICC के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी, यह दावा करते हुए कि यह मुद्दा ओस्लो समझौतों के तहत पहले ही हल हो चुका है और ICC को इस पर कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है​।

नेतन्याहू और गैलेंट पर लगाए गए आरोप
ICC का कहना है कि नेतन्याहू और गैलेंट ने जानबूझकर गाजा के नागरिकों के खिलाफ कठोर नीतियां लागू कीं। इन नीतियों के कारण पानी और बिजली की आपूर्ति बाधित हुई और आवश्यक चिकित्सा उपकरण और दवाइयों की आपूर्ति रुक गई। आरोप यह भी है कि इन नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के बावजूद मानवीय सहायता को रोकने का प्रयास किया, जिससे बच्चों सहित हजारों नागरिकों की मौत हुई​।

इजरायल का प्रतिरोध: अंतरराष्ट्रीय न्याय और संप्रभुता
इजरायल का तर्क है कि उसके पास एक स्वतंत्र न्याय प्रणाली है और वह खुद इन मामलों की जांच करने में सक्षम है। इजरायल ने ICC को यह भी याद दिलाया कि उसकी भूमिका पूरक होनी चाहिए, न कि प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करने वाली। कई देशों और कानूनी विशेषज्ञों ने इस स्थिति में इजरायल का समर्थन भी किया है। इजरायल के विदेश मंत्रालय ने इसे 'भेदभावपूर्ण' कार्रवाई कहा और जोर दिया कि इजरायल अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने नागरिकों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है​।

गोपनीय गिरफ्तारी वारंट और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
ICC ने नेतन्याहू और गैलेंट के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं, लेकिन ये गोपनीय हैं। हालांकि, न्यायालय ने इस कार्रवाई की सूचना सार्वजनिक की ताकि गाजा में पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय का आश्वासन दिया जा सके। इस कदम पर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने चिंता जताई है, जबकि इजरायल इसे अपनी सुरक्षा और संप्रभुता पर हमला मान रहा है​।

यह मामला न केवल इजरायल और फिलिस्तीन के संघर्ष को फिर से उजागर करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय न्याय प्रणाली की चुनौतियों को भी रेखांकित करता है। इजरायल और ICC के बीच यह विवाद आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय राजनीति और कानून के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।