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केसरी सिंह बारहठ की 152वीं जयंती: स्वतंत्रता संग्राम में योगदान पर विचार गोष्ठी आयोजित



अजय त्यागी 2024-11-22 10:40:58 स्थानीय

केसरी सिंह बारहठ की 152वीं जयंती
केसरी सिंह बारहठ की 152वीं जयंती
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महान स्वतंत्रता सेनानी केसरी सिंह बारहठ की 152वीं जयंती के अवसर पर दम्माणी धर्मशाला स्थित जे.एस.बी. चैरिटेबल लैब परिसर में एक विचार गोष्ठी आयोजित हुई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उनकी देशभक्ति, बलिदान और योगदान को याद कर नई पीढ़ी को प्रेरित करना था। गोष्ठी में मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. नरसिंह बिनानी, अध्यक्ष जुगल किशोर पुरोहित और मुख्य वक्ता डॉ. जगदीश बारठ उपस्थित थे।

कार्यक्रम का शुभारंभ: श्रद्धांजलि और उद्घाटन वक्तव्य
कार्यक्रम की शुरुआत केसरी सिंह बारहठ के तेलचित्र पर माल्यार्पण और श्रद्धांजलि के साथ हुई। मुख्य अतिथि डॉ. नरसिंह बिनानी ने कहा कि केसरी सिंह का जीवन त्याग और बलिदान का प्रतीक है। उन्होंने युवाओं से देशप्रेम और संघर्ष के लिए प्रेरित होने का आह्वान किया। बिनानी ने कहा कि केसरी सिंह बारहठ देश की स्वाधीनता के लिए प्राण न्यौछावर करने वालों के अग्रदूत थे। उनके द्वारा देश की आजादी के आंदोलन के लिए किया गया त्याग, बलिदान व योगदान आज के युवाओं के लिए प्रेरक है। प्रोफेसर डॉ. बिनानी कहा कि देश के लिए उनका यह एक अनूठा बलिदान था।

केसरी सिंह का योगदान: परिवार समेत समर्पित जीवन
मुख्य वक्ता डॉ. जगदीश बारठ ने उनके परिवार के अभूतपूर्व योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि केसरी सिंह के पुत्र कुंवर प्रताप सिंह बारहठ ने मात्र 25 वर्ष की उम्र में स्वतंत्रता संग्राम में शहादत दी। उनके भाई जोरावर सिंह और दामाद ईश्वरदान आशिया भी स्वतंत्रता सेनानी रहे। केसरी सिंह ने युवाओं को जागरूक करने के लिए देशभक्ति गीतों और लेखनी का सहारा लिया। उन्होंने अपनी कविता- वह शक्ति हमें दो दया निधे, जग जीवन सफल बना जावे- के माध्यम से केसरी सिंह बारहठ को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

कवि जुगल किशोर का संदेश: जीवन दर्शन का अनुसरण करें
कार्यक्रम के अध्यक्ष कवि जुगल किशोर पुरोहित ने कहा कि केसरी सिंह का त्याग और तपस्या हर भारतीय के लिए अनुकरणीय है। उनकी लेखनी और विचारधारा ने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।

विशिष्ट अतिथियों के विचार: अमर योगदान
गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि गोविंद सिंह चारण ने उनके परिवार की शौर्य गाथा पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह परिवार समाज और देश के लिए प्रेरणास्त्रोत रहेगा।

गोष्ठी का समापन और संदेश
कार्यक्रम का संचालन मदन सिंह ने किया और आभार ज्ञापन संदीप बारठ ने व्यक्त किया। उपस्थित लोगों में हर्षित श्रीमाली, शोयब, रामेश्वर शर्मा समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल थे।

केसरी सिंह का इतिहास
केसरी सिंह का जन्म 21 नवंबर 1872 को देवखेड़ा, शाहपुरा में हुआ। उनके नेतृत्व और प्रेरणा से अनेक युवा क्रांति की ओर अग्रसर हुए। उनके पुत्र प्रताप सिंह बारहठ ने भी स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी जान न्योछावर कर दी। उनकी क्रांति की गाथा आज भी भीलवाड़ा और शाहपुरा के कण-कण में गूंजती है​।