Join our Whatsapp Group

आचार्य महाकुम्भ: एक अद्वितीय पहल, जो मानवीय मूल्यों और शिक्षा के आदर्शों को दे रही नई दिशा 



अजय त्यागी 2024-11-23 10:17:26 बिहार

आचार्यकुल राष्ट्रीय सम्मेलन
आचार्यकुल राष्ट्रीय सम्मेलन
advertisement

आचार्यकुल राष्ट्रीय सम्मेलन के तत्वावधान में आयोजित आचार्य महाकुंभ ने देश के विभिन्न राज्यों से आए विद्वानों, शिक्षकों, और साहित्यकारों को एक मंच पर इकट्ठा कर एक सशक्त संदेश दिया। जिसने भारत की सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने और शिक्षा के आदर्शों पर चर्चा का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।

महाकुंभ का उद्घाटन और मुख्य विचारधारा
कार्यक्रम का उद्घाटन मेघालय के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने गांधीजी और विनोबाजी के विचारों की प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति और मानवीय मूल्यों का असली स्वरूप आचार्यकुल की अवधारणा में निहित है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में आचार्यों के महत्व और उनकी प्रेरणादायक भूमिका को रेखांकित किया।

आचार्यकुल की भूमिका और उद्देश्य
राष्ट्रीय संयोजक आचार्य धर्मेंद्र ने सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आचार्यकुल भारतीय संस्कृति के मूल्यों को स्थापित करने और शिक्षा प्रणाली में नैतिकता को पुनः लाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने इस मंच को देशभर के प्रतिनिधियों के लिए एकजुटता और संवाद का मंच बताया।

पत्रकारिता और समाज का जुड़ाव
नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के महासचिव कुमुद रंजन सिंह ने पत्रकारिता के माध्यम से समाज को एकजुट करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने समाज को जागरूक करने और सकारात्मक बदलाव लाने में पत्रकारिता की भूमिका पर विचार साझा किए।

साहित्य और इतिहास पर चर्चा
साहित्यकार और इतिहासकार सत्येंद्र कुमार पाठक ने मगध क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस क्षेत्र की ऐतिहासिक संपदा को पुनर्जीवित करने और इसे राष्ट्रीय पटल पर लाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

विशिष्ट अतिथियों का योगदान
सर्वोच्च साहित्यकार उषाकिरण श्रीवास्तव ने समारोह में अपने लेखन के माध्यम से पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद को समर्पित साहित्यिक कृतियों को साझा किया। उनके साथ छत्तीसगढ़ की शिला शर्मा, झारखंड की सुप्रिया सिंह, उत्तराखंड की गीता कौर, और नालंदा की सरिता सिंह जैसे प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभव साझा किए।

राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व
इस महाकुंभ में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, और अन्य राज्यों से आए शिक्षाविदों और समाजसेवियों ने हिस्सा लिया। इनमें पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. जंगबहादुर पांडेय, रोहित कुमार, और अजित कुमार ने भी अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई।

संस्कृति और शिक्षा का संगम
ऐसे आयोजन न केवल संस्कृति और शिक्षा के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नई दिशा भी प्रदान करते हैं। इस कार्यक्रम ने साबित किया कि भारतीय शिक्षा पद्धति को आचार्यकुल के सिद्धांतों के माध्यम से सशक्त बनाया जा सकता है।