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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बिजली विभाग को बताया जिम्मेदार, महिला की करेंट लगने से मौत पर सख्त फैसला



अजय त्यागी 2024-11-24 07:18:06 छत्तीसगढ

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट - Photo : Internet
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट - Photo : Internet
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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में, छत्तीसगढ़ राज्य बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड (CSPDCL) को एक महिला की करंट लगने से मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इस फैसले में न्यायमूर्ति राजानी दुबे और न्यायमूर्ति संजय कुमार जैसवाल की बेंच ने कड़े शब्दों में यह बताया कि ऐसी घटनाओं में बिजली कंपनी की जिम्मेदारी निर्विवाद रूप से तय होती है।

मामला क्या था?
यह मामला एक महिला की मौत से जुड़ा हुआ था, जो अपने घर में बोर पंप का उपयोग करते समय करंट लगने से मौत के शिकार हो गई। मृतका के पति और बच्चों ने छत्तीसगढ़ राज्य बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड (CSPDCL) के खिलाफ 11 लाख रुपये के मुआवजे के लिए एक नागरिक दावा दायर किया। उनका आरोप था कि CSPDCL की लापरवाही के कारण ही यह दुर्घटना घटी, विशेष रूप से बिजली के सुरक्षा सिस्टम, जैसे कि अर्थिंग (Earthing) के गलत तरीके से रखरखाव के कारण।

CSPDCL का दावा और अदालत का निर्णय
CSPDCL ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि यह दुर्घटना मृतका द्वारा घर के अंदर के वायरिंग की गलत तरीके से उपयोग और उनकी लापरवाही के कारण हुई थी। हालांकि, निचली अदालत ने इस मामले में कंपनी को जिम्मेदार ठहराया और पीड़ित परिवार को ₹10,37,680 का मुआवजा दिया। इसमें ₹9,67,680 निर्भरता के नुकसान के रूप में और ₹70,000 मानसिक तनाव, संपत्ति के नुकसान और अंतिम संस्कार खर्च के रूप में दिए गए।

अदालत ने इस मामले में "सख्त जिम्मेदारी" (Strict Liability) के सिद्धांत को लागू किया, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने "M.P. Electricity Board v. Shail Kumari" के मामले में तय किया था। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि इस सिद्धांत के तहत, किसी भी खतरनाक गतिविधि में लिप्त व्यक्ति या संस्था को किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, चाहे उसने कोई गलती की हो या नहीं।

हाई कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए CSPDCL की अपील खारिज कर दी। न्यायमूर्ति राजानी दुबे ने स्पष्ट रूप से कहा कि "सख्त जिम्मेदारी" के सिद्धांत के तहत दोषी पक्ष को यह साबित करने की जरूरत नहीं होती कि उसने इस घटना से बचने के लिए सावधानियां नहीं बरती थीं। कोर्ट ने मामले की गहरी जांच के बाद निचली अदालत द्वारा दी गई मुआवजे की राशि को सही ठहराया और अपील को खारिज कर दिया​।

इस फैसले से यह स्पष्ट हो जाता है कि बिजली विभाग की लापरवाही के कारण होने वाली घटनाओं में पीड़ितों को मुआवजा देना आवश्यक है, और उनकी गलती के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा। यह घटना बिजली कंपनियों के लिए एक चेतावनी है कि वे अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करें ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।


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