Join our Whatsapp Group

केरल हाई कोर्ट ने शिकायत के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा किया खारिज 



अजय त्यागी 2024-11-25 07:46:06 केरल

केरल हाई कोर्ट - Photo : Internet
केरल हाई कोर्ट - Photo : Internet
advertisement

केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में एक मानहानि के मामले को खारिज कर दिया, जिसमें यह कहा गया कि संबंधित शिकायत एक वैध प्राधिकरण के सामने दी गई थी और इस पर जांच की जा रही थी, इसलिए यह अपराध नहीं बनता। इस मामले में एक महिला ने अपने बहनोई के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे, जिनमें संपत्ति हड़पने का प्रयास और धोखाधड़ी के आरोप शामिल थे। यह मामला कई जटिल कानूनी पहलुओं को उजागर करता है।

मुकदमा और आरोपों की शुरुआत
यह मामला तब सामने आया जब एक महिला (याचिकाकर्ता) ने अपने बहनोई के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। महिला का आरोप था कि उसका बहनोई और उसकी बहन उसकी माँ की संपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे। याचिकाकर्ता की माँ ने 2014 में इसी विषय पर केरल के मुख्यमंत्री के पास एक शिकायत भी दर्ज कराई थी। महिला ने यह भी दावा किया कि उसके बहनोई ने उसे मानसिक रूप से परेशान किया और उसकी संपत्ति के संबंध में धोखाधड़ी की कोशिश की।

कोर्ट का फैसला और न्यायिक व्याख्या
केरल हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने मामले की सुनवाई करते हुए माना कि यह शिकायत एक वैध प्राधिकरण को की गई थी, जो कि कानून के अनुसार उचित कार्रवाई कर रहा था। अदालत ने कहा कि ऐसे मामले में मानहानि का मामला नहीं बनता क्योंकि शिकायत किसी व्यक्ति द्वारा निजी तौर पर नहीं की गई थी, बल्कि इसे सरकारी अधिकारियों द्वारा सुना और जांचा जा रहा था। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब एक शिकायत किसी सार्वजनिक प्राधिकरण को की जाती है, तो यह अपने आप में मानहानि का कारण नहीं बनती है।

आरोपों की वैधता और कानूनी विश्लेषण
याचिकाकर्ता के द्वारा यह शिकायत पारियाराम मेडिकल कॉलेज के निदेशक को दी गई थी, जहां उसका बहनोई काम करता था। इसके अलावा, याचिकाकर्ता की माँ ने भी मुख्यमंत्री के पास शिकायत की थी, जिसे पुलिस स्टेशन को भेज दिया गया था। हाई कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपों के कारण पुलिस जांच चल रही थी, और इसलिए यह स्पष्ट नहीं था कि आरोपों में कोई आपराधिक तत्व था या नहीं। अदालत ने यह कहा कि इस मामले में IPC की धारा 500 के तहत मानहानि का मामला बनाना उचित नहीं था​।

अंततः, केरल हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया और मानहानि के मामले को खारिज कर दिया। अदालत ने यह भी माना कि इस तरह के मामलों में सरकारी जांच प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है, और जब तक किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी अदालत या सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक मानहानि का मामला नहीं बनता।


आदेश की प्रति के लिए क्लिक करें...