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ISRO का Proba-3 मिशन: सूर्य के रहस्यों को जानने के लिए बड़ी छलांग, 4 दिसंबर को होगा लॉन्च



अजय त्यागी 2024-11-28 05:18:13 विज्ञान

Proba-3 mission of ISRO
Proba-3 mission of ISRO
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भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक क्षण आ रहा है, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 4 दिसंबर को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के साथ मिलकर Proba-3 मिशन को लॉन्च करेगा। यह मिशन सूर्य के कोरोना (Sun's corona) की गहरी जांच करेगा, जो सूर्य का बाहरी और सबसे गर्म भाग है। इस मिशन के साथ ISRO एक नई तकनीक, "प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग" (Precision Formation Flying) को भी पेश करेगा, जिससे दो उपग्रह एक साथ उड़ते हुए सूर्य के रहस्यों की जांच करेंगे।

Proba-3 मिशन: 
सूर्य के कोरोना की अनदेखी तस्वीरें Proba-3 का मुख्य उद्देश्य सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना है, जो सूर्य का बाहरी और सबसे गर्म क्षेत्र है। यह क्षेत्र इतनी उच्च गर्मी पर होता है (लगभग 2 मिलियन डिग्री फारेनहाइट), कि इसे पारंपरिक उपकरणों से देख पाना लगभग असंभव है। लेकिन Proba-3 इसके लिए तीन विशेष उपकरणों का उपयोग करेगा:

ASPIICS (Association of Spacecraft for Polarimetric and Imaging Investigation of the Corona of the Sun): यह उपकरण सूर्य के अंदर और बाहर के कोरोना की स्पष्ट तस्वीरें देगा।
DARA (Digital Absolute Radiometer): यह सूर्य के कुल ऊर्जा उत्पादन (total solar irradiance) को मापेगा।
3DEES (3D Energetic Electron Spectrometer): यह उपकरण सूर्य के विकिरण बेल्ट्स में इलेक्ट्रॉन फ्लक्स को मापेगा, जो अंतरिक्ष मौसम के अध्ययन में मदद करेगा।

Precision Formation Flying: एक नई तकनीकी क्रांति 
Proba-3 मिशन की सबसे अनोखी विशेषता इसका प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग है। इसमें दो उपग्रह बहुत कम दूरी पर, केवल कुछ मिलीमीटर की दूरी पर उड़ेंगे। एक उपग्रह सूर्य की तेज रोशनी को अवरुद्ध करेगा, जिससे दूसरे उपग्रह को सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने का अवसर मिलेगा। यह तकनीक सूर्यग्रहण के प्रभावों की सटीक नकल करेगी, लेकिन इसके लाभ सूर्यग्रहण के केवल कुछ मिनटों के बजाय छह घंटे तक जारी रहेंगे। इस प्रकार, वैज्ञानिकों को सूर्य के कोरोना और अन्य अंतरिक्ष घटनाओं का विस्तृत अध्ययन करने का समय मिलेगा।

Proba-3 और ISRO का अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन 
Proba-3 मिशन ISRO के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अन्वेषण में ISRO की बढ़ती भूमिका को प्रदर्शित करता है। इस मिशन को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के सहयोग से लॉन्च किया जा रहा है और यह दो प्रमुख उपग्रहों के साथ एक सहयोगात्मक परियोजना है। इससे न केवल ISRO की तकनीकी क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि भारत को सूर्य के अध्ययन में एक नई दिशा मिल सकती है। भारतीय वैज्ञानिकों को इस मिशन से महत्वपूर्ण आंकड़े मिलेंगे, जो भारत के सौर भौतिकी (solar physics) और अंतरिक्ष मौसम के अध्ययन में सहायक होंगे।

भारत के लिए मिशन के लाभ 
ISRO के लिए Proba-3 मिशन एक अहम मील का पत्थर साबित होगा। इस मिशन से भारतीय वैज्ञानिकों को न केवल नई जानकारी मिलेगी, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण क्षेत्र में एक मजबूत साझेदारी का भी प्रतीक बनेगा। यूरोपीय देशों के साथ मिलकर इस मिशन को लॉन्च करके ISRO ने अपनी विश्वसनीयता को और बढ़ाया है। इसके अलावा, भारतीय शोधकर्ताओं को मिशन के डेटा पर विशेष पहुंच मिल सकती है, जिससे भारत की अंतरिक्ष संबंधित सुरक्षा उपायों में भी सुधार हो सकता है, जैसे कि उपग्रहों और पावर ग्रिड्स को सूर्य द्वारा उत्पन्न विद्युत प्रवाह से बचाने के उपाय।

Proba-3 मिशन ISRO और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बीच मजबूत सहयोग को प्रदर्शित करता है और भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक नई शुरुआत का प्रतीक है। इस मिशन से सूर्य के कोरोना के अध्ययन में एक नई क्रांति आ सकती है और ISRO को एक और सफलता मिलेगी। 4 दिसंबर को होने वाला लॉन्च भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक ऐतिहासिक दिन साबित हो सकता है।