Sun, 29 December 2024 11:06:11pm
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि धारा 319 सीआरपीसी के तहत अतिरिक्त आरोपी को समन करने से पहले अभियोजन पक्ष के साक्षियों की मुख्य परीक्षा के साथ-साथ उनकी परक्राम्य परीक्षा (क्रॉस-एक्सामिनेशन) को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। यह आदेश न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ए.जी. मसिह की पीठ ने दिया।
मामले का विवरण:
यह मामला एक आरोपी की अपील से संबंधित था, जिसने उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अभियोजन पक्ष के साक्षियों की मुख्य परीक्षा के आधार पर अतिरिक्त आरोपी को समन किया गया था, बिना उनकी परक्राम्य परीक्षा पर विचार किए। आरोपी का कहना था कि मुख्य परीक्षा में साक्षियों ने उसके खिलाफ आरोप लगाए थे, लेकिन परक्राम्य परीक्षा में उन्होंने उन आरोपों को केवल 'उल्लेख' (ओमिशन) बताया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 319 सीआरपीसी के तहत अतिरिक्त आरोपी को समन करने से पहले साक्षियों की परक्राम्य परीक्षा को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। यदि आवेदन परक्राम्य परीक्षा के बाद दायर किया गया है, तो उसे अनदेखा करना अन्यायपूर्ण होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि परक्राम्य परीक्षा में साक्षियों के बयान मुख्य परीक्षा से पूरी तरह विरोधाभासी हों, तो अतिरिक्त आरोपी को समन करने का कोई आधार नहीं बनता।
कानूनी संदर्भ:
कोर्ट ने 'Hardeep Singh v. State of Punjab' (2014) मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि आवेदन पर कोई प्राइमाफेसी मामला नहीं बनता है, तो धारा 319 सीआरपीसी के तहत अतिरिक्त आरोपी को समन करने से बचना चाहिए।
इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय को साक्षियों की परक्राम्य परीक्षा के बयानों पर भी विचार करना चाहिए, ताकि किसी निर्दोष व्यक्ति को अनावश्यक रूप से आरोपी न बनाया जाए। यह आदेश न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।