Sun, 29 December 2024 11:43:15pm
बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि विदेशी मध्यस्थता पुरस्कार की प्रवर्तन प्रक्रिया में न्यायालय की भूमिका सीमित होती है, और वह मामले की merits में नहीं जा सकता। न्यायमूर्ति अरिफ एस. डॉक्टर की पीठ ने यह आदेश दिया।
मामले का विवरण:
याचिकाकर्ता ने अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन, लंदन द्वारा पारित एक पुरस्कार की प्रवर्तन के लिए याचिका दायर की थी, जिसमें उन्हें 2.45 मिलियन यूरो और लागत का भुगतान आदेशित किया गया था। यह पुरस्कार 30 जनवरी 2006 को सूडान में पावर प्लांट्स के निर्माण के लिए किए गए एक समझौते के आधार पर पारित हुआ था।
पक्षों की दलीलें:
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह अनुबंधों का असाइनमेंट प्राप्तकर्ता है और इसलिए मध्यस्थता खंड का अधिकारपूर्वक उपयोग कर सकता है। वहीं, प्रतिवादी ने दावा किया कि असाइनमेंट वैध नहीं था और इसलिए मध्यस्थता खंड लागू नहीं होता।
निचली अदालत का निर्णय:
निचली अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि असाइनमेंट वैध नहीं था, और इसलिए मध्यस्थता खंड लागू नहीं होता।
उच्च न्यायालय का निर्णय:
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि प्रवर्तन न्यायालय की भूमिका सीमित होती है, और वह मामले की merits में नहीं जा सकता। न्यायालय ने यह भी कहा कि असाइनमेंट वैध था, और इसलिए मध्यस्थता खंड लागू होता है।
यह निर्णय विदेशी मध्यस्थता पुरस्कार की प्रवर्तन प्रक्रिया में न्यायालय की सीमित भूमिका को स्पष्ट करता है, और यह सुनिश्चित करता है कि मध्यस्थता खंड का अधिकारपूर्वक उपयोग किया जा सके।