Mon, 30 December 2024 12:03:13am
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में वीरता पुरस्कार प्राप्त पैरामिलिट्री कर्मियों के वार्डों को मेडिकल प्रवेश में आरक्षण में प्राथमिकता देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि नीति निर्माताओं ने उचित विचार-विमर्श के बाद आरक्षण श्रेणियों का निर्धारण किया है, और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
मामले की पृष्ठभूमि:
याचिकाकर्ता के पिता को 11 मई 2024 को वीरता पुरस्कार प्राप्त हुआ था। NEET UG 2021 के सूचना बुलेटिन में वीरता पुरस्कार प्राप्त सैन्य और पैरामिलिट्री कर्मियों के वार्डों को 1% आरक्षण में प्राथमिकता देने का उल्लेख था। हालांकि, NEET UG 2024 में इस नीति में बदलाव किया गया, और पैरामिलिट्री कर्मियों के वार्डों को आरक्षण में प्राथमिकता नहीं दी गई।
पक्षकारों की दलीलें:
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि सूचना बुलेटिन में वीरता पुरस्कार प्राप्त पैरामिलिट्री कर्मियों के वार्डों को प्राथमिकता देने का उल्लेख था, लेकिन अब उन्हें वंचित किया जा रहा है, जो भेदभावपूर्ण है। वहीं, प्रतिवादी के वकील ने कहा कि नीति निर्माताओं ने उचित विचार-विमर्श के बाद आरक्षण श्रेणियों का निर्धारण किया है, और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
कोर्ट की टिप्पणियाँ:
कोर्ट ने कहा कि नीति निर्माताओं ने उचित विचार-विमर्श के बाद आरक्षण श्रेणियों का निर्धारण किया है, और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि पैरामिलिट्री कर्मियों के वार्डों को आरक्षण में प्राथमिकता नहीं देने से कोई भेदभाव नहीं हो रहा है।
यह निर्णय उन पैरामिलिट्री कर्मियों के परिवारों के लिए निराशाजनक है, जिन्होंने वीरता पुरस्कार प्राप्त किया है। हालांकि, कोर्ट ने नीति निर्माताओं के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आरक्षण नीतियों में बदलाव के लिए विधायिका और कार्यपालिका की भूमिका है, न कि न्यायपालिका की।