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राजस्थान के 593 मंदिरों की अनदेखी: खाटूश्यामजी कॉरिडोर की घोषणा के बीच अन्य ऐतिहासिक धरोहरों की दुर्दशा



अजय त्यागी 2024-11-30 07:28:18 राजस्थान

राजस्थान के 593 मंदिरों की अनदेखी - Photo : Etvbharat
राजस्थान के 593 मंदिरों की अनदेखी - Photo : Etvbharat
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राजस्थान की वास्तुशिल्प धरोहरों के प्रतीक सैकड़ों मंदिर आज उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं। एक ओर सरकार खाटूश्यामजी मंदिर के लिए ₹100 करोड़ का बजट आवंटित कर रही है, तो दूसरी ओर 200-300 साल पुराने 593 मंदिर जर्जर हालात में हैं। ये मंदिर एक अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर हैं, जो संरक्षण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

250 साल पुराना आनंद कृष्ण बिहारी मंदिर
जयपुर के चांदनी चौक स्थित आनंद कृष्ण बिहारी मंदिर, जो लगभग 250 साल पुराना है, आज क्षरण की कहानी कह रहा है। दीवारों में दरारें और फीकी होती दीवारें इसके गौरवशाली अतीत की झलक देती हैं। ₹1 लाख के मामूली बजट से सिर्फ कुछ दीवारों की मरम्मत हो सकी। इसी तरह पास का ब्रज निधि मंदिर भी जर्जर हो चुका है, जहां प्लास्टर और चूने के टुकड़े गिर रहे हैं।

राधावल्लभ जी मंदिर की दुर्दशा
राधावल्लभ जी मंदिर, जो कभी अपने कमल के आकार के खंभों और छतरियों के लिए प्रसिद्ध था, अब खिड़कियों और स्तंभों की टूटी संरचना में तब्दील हो गया है। ये मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थलों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि राजस्थान की समृद्ध स्थापत्य कला के जीवंत प्रमाण हैं।

आवंटन का विरोधाभास
देवस्थान विभाग ने इन 593 मंदिरों के लिए ₹13 करोड़ का बजट स्वीकृत किया है, जो हर मंदिर के लिए लगभग ₹2 लाख बैठता है। इसे अपर्याप्त बताते हुए देवस्थान कर्मचारी संघ के संयोजक मातृ प्रसाद शर्मा ने कहा कि इन मंदिरों को व्यापक जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि ₹1 लाख जैसे छोटे बजट से प्राचीन मंदिरों की महिमा को बहाल करना असंभव है।

सरकार का आश्वासन
देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि 593 मंदिरों के पुनरुद्धार के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि पर्यटन और पीडब्ल्यूडी विभागों को मरम्मत की प्रक्रिया सौंपी गई है। जबकि ₹13 करोड़ तत्काल मरम्मत के लिए आवंटित किए गए हैं, विस्तृत योजना अगले बजट में शामिल की जाएगी।

भव्य परियोजनाएं बनाम धरोहर संरक्षण
खाटूश्यामजी मंदिर को भव्य तीर्थ स्थल बनाने के लिए ₹100 करोड़ के बजट ने छोटे मंदिरों की अनदेखी की बहस को जन्म दिया है। इन प्राचीन मंदिरों की वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान के अभिन्न अंग हैं।

अच्छे दिनों का इंतजार
जब तक सरकार पर्याप्त धन और योजनाओं का प्रावधान नहीं करती, ये प्राचीन मंदिर अपने जर्जर हालात में ही रहेंगे। भक्तों और विरासत प्रेमियों को उम्मीद है कि इन अनमोल धरोहरों को जल्द ही संरक्षित किया जाएगा।

Source : Etvbharat