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सुखबीर सिंह बादल गले में तख्ती और हाथ में बरछा लेकर भुगत रहे सजा, श्री अकाल तख़्त ने सुनाई  धार्मिक सजा 



अजय त्यागी 2024-12-03 02:00:31 पंजाब

सुखबीर सिंह बादल गले में तख्ती और हाथ में बरछा लेकर भुगत रहे सजा
सुखबीर सिंह बादल गले में तख्ती और हाथ में बरछा लेकर भुगत रहे सजा
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पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त साहिब ने सोमवार को धार्मिक सजा सुनाई है। इस सजा के तहत, सुखबीर को अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में सेवादारी करनी होगी, जिसमें बर्तन धोना, जूते साफ करना और पहरेदारी शामिल है। यह सजा 3 दिसंबर 2024 से प्रभावी हो गई है। 

सजा के कारण और विवरण
अकाल तख्त ने सुखबीर बादल और अन्य नेताओं को 2015 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफी दिलाने, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों में उचित कार्रवाई न करने और सिख युवाओं की हत्या करवाने वाले पुलिस अधिकारियों को उच्च पदों पर नियुक्त करने के आरोप में दोषी पाया है। इन आरोपों के आधार पर, उन्हें धार्मिक सजा सुनाई गई है। 

सजा का पालन और प्रतिक्रिया
सजा के बाद, सुखबीर बादल ने मंगलवार सुबह गले में तख्ती लटकाकर स्वर्ण मंदिर में सेवादारी शुरू की। उन्होंने बर्तन धोने, जूते साफ करने और पहरेदारी की सेवा निभाई। इस दौरान, उनके साथ अन्य नेताओं ने भी धार्मिक दंड का पालन किया। 

पारिवारिक सम्मान में कमी
इसके अतिरिक्त, अकाल तख्त ने सुखबीर के पिता, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को 13 वर्ष पहले दिया गया 'फख्र-ए-कौम' खिताब भी वापस ले लिया है। यह निर्णय उनके द्वारा किए गए कार्यों के संदर्भ में लिया गया है। 

शिरोमणि अकाली दल में सुधार के निर्देश
अकाल तख्त ने शिरोमणि अकाली दल की कार्य समिति को तीन दिन के भीतर सुखबीर बादल समेत सभी के इस्तीफे स्वीकार करने और अकाल तख्त साहिब को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। साथ ही, सदस्यता अभियान शुरू करने और छह महीने के भीतर नए अध्यक्ष का चुनाव करने का भी आदेश दिया गया है। 

सिख समाज में प्रतिक्रिया
इस घटना ने सिख समाज में हलचल मचा दी है। धार्मिक सजा के माध्यम से अकाल तख्त ने सिख समुदाय के मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। साथ ही, यह संदेश दिया है कि धार्मिक संस्थाएं अपने अनुयायियों से उच्च नैतिक मानकों की अपेक्षा करती हैं।

अकाल तख्त साहिब की यह कार्रवाई सिख धर्म के अनुशासन और नैतिकता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो धार्मिक संस्थाओं की स्वतंत्रता और प्रभावशीलता को दर्शाता है।