Sun, 29 December 2024 06:40:10am
क्या आप जानते हैं कि एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को पेंशन और अन्य लाभ पाने का हक है, भले ही उनकी सेवा अवधि के दौरान अतिरिक्त वेतन का विवाद लंबित हो? हाल ही में, कोलकाता हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें एक रिटायर्ड हेडमास्टर को उनकी पेंशन और अन्य सेवाशुल्क जारी करने के लिए आदेश दिया, भले ही उनके वेतन के अतिरिक्त भुगतान का मामला अदालत में लंबित था। जानिए इस फैसले के बारे में पूरी जानकारी।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला पर्बा मेदिनिपुर के बरहाट सांभुनाथ बणिपिथ हाई स्कूल के एक सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य का है। शिक्षक ने पहले कृष्णापुर आदर्श विद्यामंदिर और महिषादल राज हाई स्कूल में भी सेवा दी थी।
प्रधानाचार्य को 1998 में संशोधित वेतनमान के तहत अधिक वेतन प्राप्त हुआ था। पश्चिम बंगाल के स्कूल शिक्षा आयुक्त ने 7 जनवरी, 2020 को एक आदेश जारी किया था जिसमें यह निर्णय लिया गया कि शिक्षक को अतिरिक्त वेतन की राशि को लौटाना होगा। इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि शिक्षक को पिछले स्कूलों में दी गई सेवा का वेतन संरक्षण और वेतन निर्धारण नहीं मिलेगा। इस आदेश के खिलाफ शिक्षक ने एक रिट याचिका दायर की थी, जो अभी भी लंबित थी।
सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की देरी
प्रधानाचार्य ने 31 जनवरी, 2023 को सेवानिवृत्ति ली, लेकिन उनका पेंशन और अन्य सेवाशुल्क अभी तक जारी नहीं किया गया था। इसी कारण से उन्होंने कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि वे अपनी सेवाशुल्क प्राप्त करें और अतिरिक्त वेतन की राशि को उनकी ग्रेच्युटी से समायोजित किया जाए, ताकि पेंशन जारी की जा सके।
शिक्षक ने यह भी दावा किया कि सेवानिवृत्त लाभों की स्वीकृति में हो रही देरी अनावश्यक थी और इसे शीघ्र निपटाया जाना चाहिए।
संपत्ति की समस्या और विभाग का पक्ष
दूसरी ओर, जिला विद्यालय निरीक्षक (पुरबा मेदिनिपुर) ने यह तर्क दिया कि बरहाट सांभुनाथ बणिपिथ हाई स्कूल से पेंशन के लिए जरूरी फाइलें नहीं भेजी जा रही थीं, जिससे पेंशन जारी करने में देरी हो रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि पेंशन के भुगतान में देरी स्कूल की ओर से दस्तावेज़ों की कमी के कारण हो रही थी।
कोर्ट की टिप्पणियाँ और आदेश
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि आयुक्त के आदेश की वैधता और कानूनी स्थिति पर इस समय विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि याचिका (WPA 3693 of 2020) लंबित थी। हालांकि, कोर्ट ने यह आदेश दिया कि शिक्षक के सेवानिवृत्त लाभों को शीघ्र जारी किया जाए और अतिरिक्त वेतन की राशि को उनकी ग्रेच्युटी से समायोजित किया जाए।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि संबंधित स्कूल से सभी दस्तावेज़, जिसमें शिक्षक की सेवा पुस्तक भी शामिल हो, जिला विद्यालय निरीक्षक (SE), पुरबा मेदिनिपुर को 15 दिनों के भीतर भेजे जाएं। इसके बाद, पेंशन और अन्य लाभ चार सप्ताह के भीतर जारी किए जाएंगे, बिना यह देखे कि अतिरिक्त वेतन की राशि का रिफंड किया गया है या नहीं।
कोर्ट का निष्कर्ष और याचिका का निस्तारण
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि संबंधित स्कूल के शिक्षक-प्रमुख को इस आदेश की प्राप्ति के बाद सभी आवश्यक दस्तावेज़ जिला विद्यालय निरीक्षक को भेजने की जिम्मेदारी होगी। इस प्रकार, कोर्ट ने शिक्षक की पेंशन और अन्य सेवाशुल्क जारी करने के निर्देश दिए और याचिका का निस्तारण किया।
कोलकाता हाई कोर्ट का यह फैसला सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि किसी कर्मचारी का पेंशन या अन्य सेवाशुल्क लंबित है, तो उन्हें किसी भी तरह की देरी का सामना नहीं करना चाहिए, खासकर जब तक कि उनका मामला अदालत में नहीं तय हो जाता।