Sun, 29 December 2024 06:18:01am
क्या आप जानते हैं कि एक मृत LIC एजेंट की पत्नी को उनके रिन्युअल कमीशन का हक है, चाहे उनका निधन प्राकृतिक हो, हत्या से हो या दुर्घटना से? झारखंड हाई कोर्ट ने इस विषय पर ऐतिहासिक निर्णय दिया है, जिससे कई परिवारों को राहत मिल सकती है। जानिए इस महत्वपूर्ण फैसले के बारे में, जिसने बीमा और दुर्घटना मुआवजे की दुनिया में नई दिशा दी है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला एक मृत LIC एजेंट के परिवार के मुआवजे से जुड़ा है। मृतक, बालराम महतो, एक वरिष्ठ LIC एजेंट थे और उनकी आय ₹15,58,434.45 प्रतिवर्ष थी। वे Million Dollar Round Table (MDRT) के सदस्य भी थे, जो उनकी पेशेवर उपलब्धियों को दर्शाता है। 50 वर्षीय बालराम महतो की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, जब एक ट्रक ने उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी। दुर्घटना के बाद, उनके बेटे अनिमेष कुमार को उपचार मिला, लेकिन महतो की मृत्यु हो गई। इस हादसे के बाद, उनके परिवार ने बीमा कंपनियों से मुआवजा मांगते हुए दावा किया कि हादसे के कारण उनके परिवार को आय का नुकसान हुआ है।
द्वितीयक मुद्दे पर कोर्ट की बहस
मुआवजे को लेकर दायर की गई याचिका में एक मुख्य विवाद यह था कि मृतक के रिन्युअल कमीशन को क्या मुआवजे से घटाया जा सकता है या नहीं। उच्च न्यायालय ने इस मामले में स्पष्ट किया कि रिन्युअल कमीशन एक वंशानुगत लाभ है, जिसे मृतक की पत्नी को दिया जाएगा, चाहे मृत्यु का कारण कुछ भी हो। न्यायमूर्ति सुब्बाश चंद्र ने कहा, "रिन्युअल कमीशन वंशानुगत कमीशन है और इसे मृतक की पत्नी को दिया जाएगा, चाहे मृत्यु प्राकृतिक हो, हत्या से हो या दुर्घटना से।"
मुआवजे के दावे की स्थिति
मुआवजे के दावे पर उच्च न्यायालय ने दो महत्वपूर्ण सवालों का समाधान किया:
बीमा कंपनी का पक्ष
बीमा कंपनी ने अपनी आपत्ति में यह दावा किया कि मृतक के रिन्युअल कमीशन को उनकी आय से घटाया जा सकता है। इसके अलावा, कंपनी ने कहा कि मृतक के मुआवजे में दी गई राशि अधिक थी और इसे घटाना चाहिए।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि रिन्युअल कमीशन मृतक के परिवार को वंशानुगत रूप में मिलेगा और इसे घटाया नहीं जा सकता। कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनी द्वारा प्रस्तुत कोई भी सबूत इस पर विरोध नहीं कर सका कि यह कमीशन वंशानुगत नहीं है।
न्यायालय का निर्णय
कोर्ट ने यह आदेश दिया कि बीमा कंपनी का आवेदन मुआवजे की राशि को घटाने के लिए अस्वीकार्य था, क्योंकि रिन्युअल कमीशन वंशानुगत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुआवजे की राशि में कोई कटौती नहीं की जाएगी, और ट्रिब्यूनल का निर्णय सही था।
कोर्ट ने ट्रिब्यूनल द्वारा जारी किए गए आदेश की पुष्टि की, जिसमें मुआवजे के रूप में ₹1,14,52,460 की राशि, 7% की ब्याज दर के साथ दी गई थी। इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि 75% राशि को पांच वर्षों के लिए राष्ट्रीयकृत बैंक में स्थिर जमा के रूप में रखा जाए, जबकि शेष 25% को बचत खाता में जमा किया जाए।
झारखंड उच्च न्यायालय का यह निर्णय LIC एजेंट के परिवारों के लिए महत्वपूर्ण संदेश देता है कि मृत्यु के बाद भी उनके द्वारा अर्जित रिन्युअल कमीशन का लाभ उनके परिवार को मिलेगा। यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि मृतक के परिवार को उचित मुआवजा मिलेगा, बिना किसी कटौती के, चाहे मृत्यु का कारण कुछ भी हो।