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शिक्षक की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाने के संशोधित नियमों का राज्य विश्वविद्यालयों से जुड़े संस्थानों पर कोई प्रभाव नहीं -सुप्रीम कोर्ट 



अजय त्यागी 2024-12-07 04:54:47 दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट - Photo : Internet
सुप्रीम कोर्ट - Photo : Internet
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को एक अहम फैसले में कहा कि यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) द्वारा सेवानिवृत्ति की उम्र को 65 वर्ष तक बढ़ाने के लिए किए गए संशोधन का प्रभाव उन संस्थानों पर नहीं पड़ेगा जो राज्य विश्वविद्यालयों से जुड़े हुए हैं और जहां राज्य सरकार ने इन संशोधित नियमों को अपनाने का निर्णय नहीं लिया है। यह निर्णय उन संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण है जो राज्य सरकार के नियंत्रण में आते हैं।

मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला पी.जे. धर्मराज का था, जो पहले जवाहरलाल नेहरू तकनीकी विश्वविद्यालय (JNTU) में लेक्चरर और रीडर के रूप में नियुक्त थे और बाद में चर्च ऑफ साउथ इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (CSIIT) में निदेशक के रूप में कार्यरत थे, जो JNTU से संबद्ध है। धर्मराज ने 60 वर्ष की आयु में अपनी सेवानिवृत्ति ली, लेकिन इसके दो दिन बाद AICTE और UGC द्वारा सेवानिवृत्ति की उम्र को 65 वर्ष तक बढ़ाने के लिए संशोधित नियम जारी किए गए। इस आधार पर, उन्होंने दावा किया कि उन्हें भी इस संशोधन का लाभ मिलना चाहिए।

राज्य सरकार द्वारा नियमों को न अपनाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख
इस मामले में Respondents (प्रतिवादी) ने तर्क दिया कि धर्मराज को 65 वर्ष की सेवानिवृत्ति की उम्र का लाभ नहीं मिल सकता क्योंकि राज्य सरकार, तेलंगाना ने UGC के संशोधित नियमों को स्वीकार नहीं किया है। तेलंगाना राज्य और JNTU, जिसके साथ CSIIT संबद्ध है, में सेवानिवृत्ति की उम्र पहले भी 60 वर्ष थी और इसे 65 वर्ष तक बढ़ाने का कोई निर्णय नहीं लिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की पीठ में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रसन्न बी. वराले ने पक्षों की लंबी बहस सुनने के बाद फैसला दिया। अदालत ने कहा कि जब राज्य, विश्वविद्यालय और उसके संबद्ध संस्थान पहले से ही 60 वर्ष की उम्र तक सेवा के लिए निर्धारित कर चुके हैं, तो धर्मराज को 65 वर्ष की सेवानिवृत्ति की उम्र का विशेष लाभ नहीं दिया जा सकता। इसके साथ ही, यह भी कहा कि यदि राज्य सरकार ने संशोधित नियमों को अपनाया ही नहीं है, तो यह CSIIT पर लागू नहीं हो सकते।

अधिकारियों के लिए सेवानिवृत्ति की उम्र का कोई विशेष उपचार नहीं
कोर्ट ने आगे कहा कि यदि CSIIT को JNTU से संबद्ध संस्थान माना जाता है, तो वहां के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र भी JNTU के शिक्षकों की तरह ही 60 वर्ष ही होगी। अगर राज्य सरकार ने 65 वर्ष की उम्र को लागू नहीं किया है, तो यह नियम CSIIT पर भी लागू नहीं हो सकते। अदालत ने यह भी माना कि अगर कोई शिक्षक नहीं है और किसी प्रशासनिक पद पर काम कर रहा है, तो उस पर AICTE और UGC के नियम लागू नहीं होते हैं।

शिक्षक के रूप में योग्य नहीं पाए गए धर्मराज
अदालत ने यह भी कहा कि धर्मराज ने यह साबित नहीं किया कि वे प्रशासनिक पद पर रहते हुए भी शिक्षक के रूप में योग्य थे। कोर्ट के अनुसार, AICTE और UGC के नियम केवल उन्हीं पर लागू होते हैं जो शिक्षक के रूप में कक्षा में शिक्षा दे रहे हों। धर्मराज केवल प्रशासनिक कामों में संलग्न थे, और उन्होंने कोई ऐसा प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह साबित हो सके कि वे शिक्षक के रूप में काम कर रहे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने अंततः धर्मराज की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि राज्य सरकार द्वारा अपनाए गए नियमों का पालन करते हुए सेवानिवृत्ति की उम्र की कोई विशेष व्यवस्था नहीं दी जा सकती। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं कर्मचारियों पर UGC और AICTE के नियम लागू होते हैं, जो शिक्षक के रूप में काम कर रहे होते हैं।


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