Mon, 30 December 2024 12:02:09am
हाल ही में, राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है, जिसमें एक अमेरिकी नागरिकता वाले बच्चे की कस्टडी विवाद में भारतीय न्यायालयों की भूमिका और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सिद्धांतों पर प्रकाश डाला गया है।
मामले की पृष्ठभूमि:
यह मामला एक अमेरिकी नागरिकता वाले नाबालिग बच्चे की कस्टडी से संबंधित है, जो 2018 में अपनी मां के साथ भारत आया था। बच्चे का पिता अमेरिका में निवास करता है और उसने भारतीय न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, जिसमें उसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ने बच्चे को बिना उसकी अनुमति के भारत लाकर उसकी कस्टडी का उल्लंघन किया है।
न्यायालय का निर्णय:
न्यायमूर्ति पंकज भंडारी और न्यायमूर्ति शुभा मेहता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि चूंकि बच्चे की जन्मस्थली और नागरिकता अमेरिका है, इसलिए उसकी कस्टडी विवाद में अमेरिकी न्यायालयों का आदेश प्राथमिकता रखता है। न्यायालय ने 'कोमिटी ऑफ कोर्ट्स' के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय न्यायालयों को अमेरिकी न्यायालयों के आदेशों का सम्मान करना चाहिए।
बच्चे की अवैध प्रवासी स्थिति:
न्यायालय ने यह भी माना कि चूंकि बच्चे का भारतीय वीजा समाप्त हो चुका है, इसलिए वह भारत में अवैध प्रवासी के रूप में माना जाएगा। इस स्थिति में, बच्चे का भारत में रहना उसके सर्वोत्तम हित में नहीं है, और उसे अमेरिका लौटना चाहिए, जहां उसे सभी कानूनी अधिकार प्राप्त होंगे।
अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सिद्धांतों का महत्व:
इस निर्णय ने अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सिद्धांतों, विशेषकर 'कोमिटी ऑफ कोर्ट्स' और 'हैग कन्वेंशन' के महत्व को रेखांकित किया है। न्यायालय ने कहा कि भारतीय न्यायालयों को विदेशी न्यायालयों के आदेशों का सम्मान करना चाहिए, जब तक वे भारतीय कानूनों और संविधान के अनुरूप हों।
राजस्थान उच्च न्यायालय का यह निर्णय न केवल भारतीय न्यायपालिका की अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि नाबालिग बच्चों की कस्टडी विवादों में सर्वोत्तम हित का सिद्धांत सर्वोपरि है। यह निर्णय भारतीय न्यायालयों की अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मामलों में भूमिका को स्पष्ट करता है और भविष्य में ऐसे मामलों में मार्गदर्शन प्रदान करेगा।