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कोविड-19 की वजह से 3rd स्टैंडर्ड में एक साल का कोर्स नहीं कर पाया छात्र, राजस्थान हाई कोर्ट ने दिया प्रवेश देने का आदेश



अजय त्यागी 2024-12-09 09:02:36 राजस्थान

राजस्थान हाई कोर्ट - Photo : Internet
राजस्थान हाई कोर्ट - Photo : Internet
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कोविड-19 महामारी के कारण कई छात्रों की पढ़ाई में विघ्न आया और उनकी शैक्षिक यात्रा में अड़चनें आईं। इसी कड़ी में, राजस्थान हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसमें एक छात्र को उसके 3rd स्टैंडर्ड में एक पूरा शैक्षिक सत्र न पूरा कर पाने के बावजूद प्रवेश देने का आदेश दिया। यह निर्णय छात्र के हक में था, जहां उसे स्कूल द्वारा कोविड-19 के कारण सत्र शुरू होने में देरी की वजह से प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। 

हाई कोर्ट का आदेश:
राजस्थान हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि एक छात्र को जवाहर नवोदय विद्यालय में प्रवेश दिया जाए, जिसे कोविड के कारण 3rd स्टैंडर्ड के पूरे सत्र में भाग लेने का मौका नहीं मिला। उसके बाद छात्र ने 4th और 5th स्टैंडर्ड को पूरा किया था, फिर भी स्कूल के चयन दिशा-निर्देशों के खिलाफ प्रवेश से वंचित कर दिया गया। कोर्ट ने इस फैसले को 'अत्यधिक कठोर और अनुचित' माना और छात्र को प्रवेश देने का निर्देश दिया।

कोविड-19 के कारण हुई देरी:
कोर्ट ने यह माना कि कोविड-19 के कारण देशभर में शैक्षिक संस्थान बंद रहे और कक्षाएं देरी से शुरू हुईं। जब छात्र 3rd स्टैंडर्ड में था, तब शैक्षिक सत्र अप्रैल 2021 में शुरू होना था, लेकिन कोविड-19 की वजह से यह सितंबर 2021 में शुरू हुआ। छात्र ने पूरी ईमानदारी से 4th और 5th स्टैंडर्ड के शैक्षिक सत्र पूरे किए, लेकिन 3rd स्टैंडर्ड का एक पूरा सत्र न करने के कारण उसे प्रवेश से वंचित कर दिया गया था, जो अनुचित है।

कोर्ट की राय:
कोर्ट ने यह कहा कि कोविड-19 महामारी एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट था और छात्र को कक्षाओं में भाग लेने का मौका मिलना उसकी नियंत्रण से बाहर था। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह एक "फोर्स मेज्योर" की स्थिति थी, जिसमें कोविड-19 और शैक्षिक संस्थानों की बंदी ने छात्र को 3rd स्टैंडर्ड के पूरे शैक्षिक सत्र में भाग लेने से रोक लिया।

छात्र के पक्ष में राहत:
कोर्ट ने यह माना कि कोविड-19 के कारण हुई देरी को ध्यान में रखते हुए, छात्र के प्रवेश को रोकना अनुचित था। कोर्ट ने कहा कि "हम अपने दिशा-निर्देशों में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं चाहते, लेकिन शिक्षा के प्राथमिक/उच्च प्राथमिक कक्षाओं के संदर्भ में एक उदार दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।" इसके साथ ही कोर्ट ने छात्र को तत्काल प्रवेश देने का आदेश दिया।

इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि महामारी जैसी अप्रत्याशित परिस्थितियों में छात्रों को राहत प्रदान करने के लिए एक उदार दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है। यह निर्णय शिक्षा के अधिकार और छात्रों की मेहनत को सही तरीके से मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कोर्ट ने यह सिद्ध किया कि शैक्षिक संस्थाओं को ऐसे समय में लचीलापन दिखाने की आवश्यकता है, जब छात्र किसी कारणवश अपने पाठ्यक्रम को पूरा नहीं कर पाते।


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