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क्या अब भी सोया रहेगा प्रशासन? 56 घंटे की बचाव कार्यवाही के बाद भी नहीं बची 5 साल के आर्यन की जान 



अजय त्यागी 2024-12-12 04:19:08 राजस्थान

नहीं बची 5 साल के आर्यन की जान
नहीं बची 5 साल के आर्यन की जान
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राजस्थान के दौसा जिले के कालीखड़ गांव में 9 दिसंबर को एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जब पांच वर्षीय आर्यन एक खुले बोरवेल में गिर गया। यह बोरवेल करीब 150 फीट गहरा था, और यह घटना तब हुई जब वह अपनी माँ के सामने खेल रहा था। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया, और 56 घंटे तक चले बचाव कार्य के बावजूद, आर्यन को बचाया नहीं जा सका।

आर्यन का संघर्ष: बचाव प्रयासों की असफलता
घटना के बाद तत्काल बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर आर्यन को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। बचाव दल ने निरंतर प्रयास किया, लेकिन अत्यधिक गहरे बोरवेल, कठिन भूगोल और अन्य मुश्किल हालातों के कारण बचाव कार्य में कठिनाइयाँ आईं।

गंभीर स्थिति और चिकित्सकों की रिपोर्ट
आर्यन को बोरवेल से बाहर निकालने के बाद, उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी दीपक शर्मा ने मीडिया को बताया कि "हमने उसे अस्पताल भेजा था, लेकिन वह बच नहीं सका।" उन्होंने यह भी बताया कि आर्यन के गिरने से चोटें आई हो सकती हैं और संभवतः किसी कठोर वस्तु से टकराकर गंभीर चोटें आई होंगी। साथ ही, बोरवेल के अंदर अत्यधिक गर्मी और पानी की कमी ने उसकी स्थिति को और बिगाड़ दिया।

बचाव कार्य की कठिनाइयाँ
इस जटिल बचाव अभियान में कई चुनौतियाँ आईं। स्थानीय कलेक्टर देवेंद्र कुमार ने बताया कि आर्यन के गिरने के बाद, बचाव दल ने उसे और नीचे गिरने से रोकने के लिए एक छाता तैनात किया था। इसके अलावा, एक पाइलिंग मशीन से 20 फीट दूर एक गड्ढा खोदने का प्रयास किया गया, लेकिन मशीन टूट जाने के कारण कार्य में 3-4 घंटे की देरी हुई। इसके बाद, स्थानीय तरीकों और "देसी जुगाड़" का सहारा लिया गया, जैसे L-आकृति के हुक और अन्य अस्थायी उपकरणों का उपयोग किया गया, लेकिन इन सभी प्रयासों के बावजूद, स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया।

आर्यन को बाहर निकालने का अंततः सफल प्रयास
56 घंटे के लंबे और कठिन संघर्ष के बाद, अंततः एक और मशीन से गड्ढा खोदने का प्रयास किया गया और आर्यन को बाहर निकाल लिया गया। हालांकि, तब तक बहुत देर हो चुकी थी, और चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया और बोरवेल जैसी दुर्घटनाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए।

हँसता खेलता बचपन समा गया मौत के मुंह में 
इस बीच नन्हे आर्यन का एक विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमे नन्हा आर्यन एक भैंस के बच्चे के साथ खेलता नजर आ रहा है। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि इस तरह खेलता-कूदता बचपन ऐसे मौत के मुंह में समां जाएगा। 

प्रशासन पर उठे सवाल 
नन्हे आर्यन की इस दुखद मृत्यु ने एक बार फिर प्रशासन पर सवाल उठाए हैं कि आखिर कब तक यूँही जिंदगियां मौत के मुह के समाती रहेंगी? कब प्रशासन खुले बोरवेलों को बंद करवाएगा? कब उनके मालिकों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी?

समुदाय और देश में गहरी छाया
आर्यन की दुखद मौत ने पूरे समुदाय को गहरे शोक में डुबो दिया है। यह घटना न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है। बोरवेल जैसी दुर्घटनाओं की बढ़ती घटनाएँ और बचाव कार्यों में लगने वाला समय सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को और अधिक महत्वपूर्ण बनाते हैं। इस त्रासदी ने यह भी दिखाया कि बोरवेलों की देखरेख और सुरक्षा सुनिश्चित करना कितना जरूरी है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।