Sun, 29 December 2024 11:23:03pm
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण मामले पर विचार करने का निर्णय लिया, जिसमें यह तय किया जाएगा कि निजी व्हाट्सएप संदेशों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं 153A और 295A लागू हो सकती हैं या नहीं। यह फैसला डिजिटल संचार की सीमा और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के दायरे को लेकर गहन कानूनी बहस को जन्म दे सकता है।
मामले की पृष्ठभूमि: व्हाट्सएप संदेशों से उठा विवाद
मामला महाराष्ट्र में दर्ज FIR नंबर 332/2020 से जुड़ा है।
इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद कोली ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उनके वकील सीनियर एडवोकेट सुनील फर्नांडीस ने दलील दी कि निजी संदेश सार्वजनिक कार्यों की श्रेणी में नहीं आते।
कानूनी प्रश्न: निजी और सार्वजनिक के बीच सीमा रेखा
सुप्रीम कोर्ट की प्रारंभिक टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट ने कोली के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाते हुए प्रमोद सुर्यभान पवार बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले का संदर्भ दिया।
अंतरिम राहत: कोली को मिली फौरी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
डिजिटल संचार पर संभावित प्रभाव
यह मामला न केवल कोली के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह डिजिटल युग में निजी संचार और सार्वजनिक अपराधों की सीमाओं को पुनः परिभाषित कर सकता है।
अगर सुप्रीम कोर्ट निजी संदेशों को IPC की धाराओं के दायरे से बाहर मानता है, तो यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नया आयाम देगा।
दूसरी ओर, इसे सार्वजनिक सुरक्षा और सामाजिक सद्भाव के लिए खतरे के रूप में भी देखा जा सकता है।