Fri, 17 January 2025 02:16:58am
तमिलनाडु के मदुरै जिले के पलामेडु में आयोजित जल्लीकट्टू कार्यक्रम ने इस वर्ष भी हजारों दर्शकों और प्रतिभागियों को आकर्षित किया। पोंगल उत्सव के अवसर पर आयोजित इस पारंपरिक खेल में सांडों और युवाओं के बीच रोमांचक मुकाबले देखने को मिले।
सांडों की ऊर्जा और प्रतिभागियों का जोश
पलामेडु जल्लीकट्टू में इस वर्ष लगभग 1,000 सांडों और 700 बैल-पालकों ने भाग लिया। सांडों की ऊर्जा और प्रतिभागियों के जोश ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सांडों को वश में करने की कला और साहस का यह प्रदर्शन तमिल संस्कृति की गहरी जड़ों को दर्शाता है।
सुरक्षा उपाय और प्रशासन की तैयारी
मदुरै जिला प्रशासन ने जल्लीकट्टू प्रतियोगिताओं के सफल आयोजन के लिए कड़े नियम और सुरक्षा उपाय लागू किए थे। प्रत्येक सांड को केवल एक ही प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति थी, और सभी प्रतिभागियों का पंजीकरण अनिवार्य किया गया था। सुरक्षा के दृष्टिकोण से चिकित्सा दल और आपातकालीन सेवाएं भी तैनात की गई थीं।
पुरस्कार और सम्मान
प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले सांड और बैल-पालकों को आकर्षक पुरस्कार प्रदान किए गए। सर्वश्रेष्ठ सांड के मालिक को 11 लाख रुपये का ट्रैक्टर, जबकि सर्वश्रेष्ठ बैल-पालक को 8 लाख रुपये की कार से सम्मानित किया गया। इन पुरस्कारों ने प्रतिभागियों के उत्साह को और बढ़ाया।
पारंपरिक खेल की महत्ता
जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह खेल न केवल साहस और शक्ति का प्रतीक है, बल्कि ग्रामीण समुदायों के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न अंग भी है। पोंगल उत्सव के दौरान आयोजित होने वाला यह खेल फसल कटाई के उत्सव का प्रतीक है, जो किसानों की मेहनत और उनकी संस्कृति का सम्मान करता है।
दर्शकों की भारी भीड़
पलामेडु जल्लीकट्टू में इस वर्ष भी हजारों दर्शकों की उपस्थिति रही। स्थानीय निवासियों के साथ-साथ देश-विदेश से आए पर्यटकों ने भी इस रोमांचक खेल का आनंद लिया। दर्शकों की उत्साही भीड़ ने आयोजन की भव्यता को और बढ़ाया।
पशु अधिकार संगठनों की चिंताएं
हालांकि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है, लेकिन पशु अधिकार संगठनों द्वारा इस परंपरा पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। उनका मानना है कि इस खेल में सांडों के साथ क्रूरता होती है। इसलिए, प्रशासन ने इस वर्ष सुरक्षा उपायों के साथ-साथ पशुओं की भलाई का भी विशेष ध्यान रखा।
भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं
जल्लीकट्टू की परंपरा को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि इसे आधुनिक समय की आवश्यकताओं और मानकों के साथ समायोजित किया जाए। सुरक्षा उपायों को और सख्त करना, पशुओं की भलाई सुनिश्चित करना और प्रतिभागियों के प्रशिक्षण पर ध्यान देना भविष्य में इस खेल की स्वीकार्यता और लोकप्रियता को बनाए रखने में सहायक होगा।
Tamil Nadu: The first round of the Palamedu Jallikattu event in Madurai began with excitement as the bulls, full of energy, entered the arena, thrilling the bull-taming participants pic.twitter.com/OrY5lZZbuQ
— IANS (@ians_india) January 15, 2025