Thu, 13 February 2025 11:18:19pm
पुणे में एक रहस्यमयी तंत्रिका विकार गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) ने स्वास्थ्य विभाग की चिंताओं को बढ़ा दिया है। इस दुर्लभ रोग के संदिग्ध और पुष्टि किए गए मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे स्थानीय प्रशासन और नागरिकों में दहशत का माहौल है।
GBS के मामलों में लगातार वृद्धि:
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पुणे क्षेत्र में GBS के संदिग्ध और पुष्टि किए गए मामलों की संख्या 197 तक पहुँच गई है। हाल ही में पाँच और मरीजों की पहचान की गई है, जिनमें से दो नए मामले हैं और तीन पहले के दिनों से जुड़े हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 197 में से 172 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
क्षेत्रवार मामले:
स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन के अनुसार, GBS के मरीज निम्नलिखित क्षेत्रों से हैं:
40 मरीज पुणे नगर निगम (PMC) क्षेत्र से।
92 मरीज PMC में हाल ही में जोड़े गए गांवों से।
29 मरीज पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम सीमा से।
28 मरीज पुणे ग्रामीण क्षेत्र से।
8 मरीज अन्य जिलों से।
स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया और इलाज की स्थिति:
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अधिकांश मरीजों का इलाज विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में चल रहा है। गंभीर मरीजों को आईसीयू में भर्ती किया गया है और कुछ को वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता पड़ी है।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम क्या है?
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ तंत्रिका विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपनी ही नसों पर हमला करती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी, झुनझुनी और गंभीर मामलों में लकवा भी हो सकता है। इस स्थिति में मरीजों को तुरंत चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता होती है।
संक्रमण के संभावित कारण:
हालांकि अभी तक संक्रमण के सटीक कारण की पुष्टि नहीं हुई है, विशेषज्ञों का मानना है कि दूषित पानी या भोजन के माध्यम से किसी बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण के कारण यह बीमारी फैल सकती है।
स्वास्थ्य विभाग की सलाह:
स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे केवल स्वच्छ और उबला हुआ पानी ही पिएं और खाने-पीने की चीजों की स्वच्छता का ध्यान रखें। यदि किसी को हाथ-पैर में कमजोरी या झुनझुनी जैसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के बढ़ते मामलों ने स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को सतर्क कर दिया है। संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सतर्कता और जागरूकता बेहद जरूरी है।