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खनौरी बॉर्डर पर किसान महापंचायत: आंदोलन के एक वर्ष पूर्ण, बलदेव सिंह सिरसा की तबीयत बिगड़ी



अजय त्यागी 2025-02-12 02:28:13 हरियाणा

बलदेव सिंह सिरसा की तबीयत बिगड़ी
बलदेव सिंह सिरसा की तबीयत बिगड़ी
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कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को एक वर्ष पूरा होने पर, खनौरी बॉर्डर पर किसानों ने महापंचायत का आयोजन किया। इस महापंचायत में देशभर से हजारों किसान शामिल हुए, जहां आंदोलन की आगामी रणनीतियों पर चर्चा की गई।

महापंचायत का आयोजन:
12 फरवरी 2025 को खनौरी बॉर्डर पर आयोजित इस महापंचायत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों से लगभग 50,000 किसानों के शामिल होने का दावा किया गया। इस अवसर पर किसान नेताओं ने सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों को दोहराया। 

बलदेव सिंह सिरसा की तबीयत बिगड़ी:
महापंचायत के दौरान वरिष्ठ किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें तुरंत एंबुलेंस से राजिंदरा अस्पताल, पटियाला ले जाया गया, जहां उनका उपचार जारी है। सिरसा की स्थिति को देखते हुए महापंचायत में उपस्थित किसानों में चिंता की लहर दौड़ गई। 

जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन:
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 78वें दिन भी जारी रहा। उनकी सेहत को लेकर भी किसान समुदाय में चिंता व्याप्त है। डल्लेवाल ने महापंचायत में उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए आंदोलन की आगामी रणनीतियों पर चर्चा की। 

प्रशासन की तैयारियां:
महापंचायत के मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। खनौरी बॉर्डर पर 12 अर्धसैनिक बलों और पुलिस की टुकड़ियों को तैनात किया गया, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके। नरवाना के डीएसपी अमित भाटिया को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था। 

किसानों की मांगें और आगामी बैठक:
किसान नेताओं ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार उनकी मांगों, विशेषकर एमएसपी की कानूनी गारंटी, को पूरा नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि 14 फरवरी को केंद्र सरकार के साथ होने वाली बैठक के लिए तथ्यों के साथ तैयारी की जा रही है, ताकि बातचीत में किसानों का पक्ष मजबूती से रखा जा सके। 

खनौरी बॉर्डर पर आयोजित इस महापंचायत ने एक बार फिर किसानों की एकजुटता और उनकी मांगों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाया है। बलदेव सिंह सिरसा की तबीयत बिगड़ने जैसी घटनाओं के बावजूद, किसानों का हौसला बुलंद है, और वे अपनी मांगों के लिए संघर्षरत हैं।