Thu, 13 February 2025 11:16:13pm
राजस्थान में इन दिनों मौसम का मिजाज किसानों के लिए चिंता का सबब बन गया है। रबी की फसलों के पकने के समय पर तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि ने फसलों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है।
तापमान में असामान्य वृद्धि
प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान 28 से 33 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है, जो सामान्य से 3 से 8 डिग्री अधिक है। न्यूनतम तापमान भी 6 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया जा रहा है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, यह स्थिति रबी की फसलों के लिए प्रतिकूल है और उनकी पकने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
रबी फसलों पर संभावित प्रभाव
उच्च तापमान के कारण रबी की फसलों, विशेषकर गेहूं, जौ और सरसों पर हीट स्ट्रेस का खतरा बढ़ गया है। इससे बीजों का आकार छोटा रह सकता है, जिससे उपज में कमी की आशंका है। इसके अलावा, समय से पहले तापमान में वृद्धि के कारण फसलों में कीटों के प्रकोप का खतरा भी बढ़ गया है।
राजस्थान में रबी फसलों की बुआई का परिदृश्य
राजस्थान में इस सीजन में 1 करोड़ 11 लाख 80 हजार 806 हेक्टेयर में रबी की फसल की बुआई की गई है। इनमें सबसे अधिक बुआई गेहूं की हुई है, जो 31 लाख 48 हजार 396 हेक्टेयर में बोई गई है, यानी लगभग 30 प्रतिशत बुआई गेहूं की हुई है। यदि मौसम अनुकूल रहा, तो लगभग 1 करोड़ 21 लाख टन गेहूं की पैदावार होने की उम्मीद है।
इसके अलावा, 6 लाख 41 हजार हेक्टेयर में ज्वार, 43 लाख 52 हजार हेक्टेयर में बाजरा, 9 लाख 70 हजार हेक्टेयर में मक्का की फसल लगाई गई है। तिलहन में 33 लाख 81 हजार हेक्टेयर में सरसों की बुआई की गई है। गौरतलब है कि सरसों के उत्पादन में राजस्थान देश में पहले स्थान पर है। यदि यहां सरसों का उत्पादन प्रभावित होता है, तो इसका असर पूरे देश पर पड़ना तय है।
फल-सब्जियों पर प्रभाव नहीं
कृषि विज्ञानियों का कहना है कि इस हीट स्ट्रेस का असर फल और सब्जियों पर नहीं होगा। हालांकि, गेहूं और सरसों जैसी फसलें, जो इस समय पकने की अवस्था में हैं, अधिक प्रभावित हो सकती हैं।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी
मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में प्रदेश के अधिकतम तापमान में कुछ राहत की उम्मीद जताई है। एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से अधिकतम तापमान में 2 डिग्री तक की गिरावट आ सकती है। 15 से 17 फरवरी तक प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बादल छाए रहने की संभावना है, जिससे तापमान में और गिरावट की उम्मीद है।
कृषि विशेषज्ञों की सलाह
कृषि विशेषज्ञों का सुझाव है कि किसान फसलों को हीट स्ट्रेस से बचाने के लिए समय पर सिंचाई करें। इसके अलावा, फसलों की नियमित निगरानी करें और कीटों के प्रकोप को रोकने के लिए उचित कीटनाशकों का उपयोग करें। मौसम की जानकारी के लिए स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्रों से संपर्क में रहें।
बदलते मौसम के इस दौर में किसानों के लिए सतर्क रहना आवश्यक है। उच्च तापमान के कारण रबी फसलों पर मंडराते खतरे को देखते हुए, समय पर उचित कृषि प्रबंधन और विशेषज्ञों की सलाह का पालन करके ही फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है।