Thu, 22 May 2025 08:39:07pm
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता साकेत गोखले ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि ईडी के 98 प्रतिशत मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ दर्ज किए गए हैं, जबकि बचे हुए दो प्रतिशत मामले उन लोगों के खिलाफ हैं, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। गोखले ने ईडी निदेशक राहुल नवीन के हालिया बयान का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया है।
ईडी निदेशक के बयान पर TMC का हमला
टीएमसी नेता साकेत गोखले ने ईडी निदेशक राहुल नवीन के उस बयान पर निशाना साधा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2014 से पहले धन शोधन विरोधी कानून काफी हद तक अप्रभावी था, लेकिन 2014 के बाद ईडी द्वारा दर्ज मामलों में उल्लेखनीय तेजी आई है। गोखले ने आरोप लगाया कि 2014 के बाद ईडी द्वारा दर्ज मामलों में यह उछाल मोदी सरकार के इशारे पर हुआ, जो उसी वर्ष सत्ता में आई थी।
गोखले के आरोप और आंकड़े
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में गोखले ने कहा, 'कल, केंद्रीय एजेंसी ईडी के प्रमुख ने स्वीकार किया कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद दर्ज मामलों में उछाल आया है।' उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि पिछले 11 वर्षों में ईडी द्वारा कुल 5,297 मामले दर्ज किए गए, लेकिन इनमें से केवल 47 मामलों को ही सुनवाई के लिए अदालत में ले जाया गया।
दोषसिद्धि दर पर सवाल
टीएमसी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने ईडी मामलों में दोषसिद्धि दर पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ईडी मामलों में दोषसिद्धि दर केवल 0.7 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, 'इसका मतलब है कि दर्ज किए गए हर 1000 मामलों में से केवल सात मामलों में ही आरोपी दोषी पाए गए। हर 1000 मामलों में से 993 मामले ईडी द्वारा केवल इसलिए दर्ज किए जाते हैं ताकि किसी व्यक्ति को जेल में रखा जा सके, क्योंकि कठोर पीएमएलए कानून के तहत जमानत मिलना लगभग असंभव है।'
केंद्र सरकार पर आरोप
गोखले ने केंद्र सरकार पर जांच प्रक्रिया को सजा के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'इसका उद्देश्य प्रक्रिया को सजा में बदलना है, ताकि निर्दोष आरोपियों को ब्लैकमेल किया जा सके और उन्हें तोड़कर भाजपा के साथ आने के लिए मजबूर किया जा सके।'
ईडी निदेशक का बयान
ईडी दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, ईडी प्रमुख राहुल नवीन ने कहा था कि पीएमएलए कानून 2003 में अधिनियमित किया गया था और 1 जुलाई, 2005 को लागू हुआ था, लेकिन शुरुआती वर्षों में यह काफी हद तक अप्रभावी था और इसके तहत प्रति वर्ष 200 से भी कम मामले दर्ज होते थे, जिनमें से अधिकतर मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों तक ही सीमित थे। हालांकि, 2014 के बाद ईडी की गतिविधियों में उल्लेखनीय तेजी आई है। 2014 से 2024 तक, 5,113 नए पीएमएलए मामलों से जुड़ी जांच शुरू की गईं, जो औसतन प्रति वर्ष 500 से अधिक मामले हैं।
Yesterday, the head of central agency ED admitted that there’s been a surge of cases filed after Modi Govt came to power in 2014.
— Saket Gokhale MP (@SaketGokhale) May 3, 2025
Here’s some facts on how ED has become Modi & Shah’s private mafia:
About 98% of ED cases against politicians were filed on Opposition leaders.… pic.twitter.com/hp6aCy5RxM