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आपदा में अवसर तलाशते निजी ब्लड बैंक! सैनिकों के नाम पर ब्लड एकत्रित करने का आरोप 



अजय त्यागी 2025-05-11 12:59:12 स्थानीय

आपदा में अवसर तलाशते निजी ब्लड बैंक - Photo : Rex TV India
आपदा में अवसर तलाशते निजी ब्लड बैंक - Photo : Rex TV India
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बीकानेर में एक गंभीर और चिंताजनक मामला सामने आया है, जिसने मानवता और सेवा के मूल्यों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बीकाणा ब्लड सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि व्यास पारीक ने बीकानेर के कुछ निजी ब्लड बैंकों पर एक सनसनीखेज आरोप लगाया है। उनका कहना है कि ये निजी ब्लड बैंक आपदा की स्थिति का अनुचित लाभ उठा रहे हैं और सैनिकों के लिए अत्यावश्यक बताकर लोगों से रक्त एकत्रित कर रहे हैं। इस खुलासे ने शहर के सामाजिक और चिकित्सा जगत में खलबली मचा दी है।

रवि व्यास पारीक का चौंकाने वाला खुलासा:
बीकाणा ब्लड सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि व्यास पारीक ने एक वीडियो जारी कर इस गंभीर मुद्दे का पर्दाफाश किया है। उन्होंने बताया कि उन्हें चालाना हॉस्पिटल के ब्लड बैंक से फोन आया था, जिसमें उनसे कहा गया कि सैनिकों के लिए 500 यूनिट रक्त की तत्काल आवश्यकता है और वे रक्तदान कर सैनिकों के लिए सहयोग करें। पारीक ने इस बात पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया कि आपदा की स्थिति में सैनिकों के नाम पर इस प्रकार रक्त एकत्रित करना कहाँ तक उचित है।

सरकारी ब्लड बैंक की उपलब्धता और निजी बैंकों की संदिग्ध गतिविधियाँ:
पारीक ने महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि दो दिन पूर्व ही बीकानेर संभाग के सबसे बड़े राजकीय अस्पताल, पीबीएम के सबसे बड़े ब्लड बैंक द्वारा सैनिकों के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त उपलब्ध करवाया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि भविष्य में भी रक्त की और आवश्यकता होती है, तो सबसे पहले पीबीएम से ही मांग की जाएगी। इसके विपरीत, उन्होंने आरोप लगाया कि निजी ब्लड बैंकों द्वारा वहां भर्ती मरीजों को रक्त की आपूर्ति के बदले न केवल डोनर लाने के लिए कहा जाता है, बल्कि उनसे प्रति यूनिट 1300 से 1400 रुपए तक वसूले जाते हैं।

सरकारी बनाम निजी ब्लड बैंकों की नीति:
पारीक ने सरकारी और निजी ब्लड बैंकों की नीतियों के बीच स्पष्ट अंतर बताया। उन्होंने कहा कि पीबीएम में भर्ती मरीज से डोनर की मांग तो की जा सकती है, लेकिन उनसे किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। इसके अतिरिक्त, यदि किसी निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मरीज के लिए पीबीएम से रक्त लिया जाता है, तो भी उनसे केवल ब्लड के फिल्टरेशन के लिए निर्धारित मामूली शुल्क ही लिया जाता है। निजी बैंकों द्वारा मरीजों से अत्यधिक शुल्क वसूलना निश्चित रूप से चिंताजनक है।

समाजसेवी संस्थाओं की अनजाने में मदद और भविष्य के लिए अपील:
पारीक ने यह भी कहा कि अनेक समाजसेवी संस्थाओं द्वारा भी अनजाने में ऐसे निजी ब्लड बैंकों की इस अवसर पर मदद की गई है, संभवतः उन्हें भी सैनिकों के लिए रक्त की आवश्यकता सम्बंधित गलत जानकारी दी गई होगी। भविष्य के लिए उन्होंने सभी समाजसेवी संस्थाओं से अपील की है कि यदि वे रक्तदान करना चाहते हैं, तो कृपया पीबीएम अस्पताल में करें, जिससे किसी भी जरूरतमंद मरीज को आवश्यकता होने पर निशुल्क रक्त उपलब्ध हो सके। उन्होंने चालाना हॉस्पिटल के ब्लड बैंक के कर्मचारी के साथ हुई अपनी बातचीत का भी उल्लेख किया, जिसमें उनसे सहयोग मांगे जाने पर। उन्होंने ब्लड बैंक कार्मिक से सरकार अथवा संबंधित विभाग द्वारा मांगी गई डिमांड व्हाट्सएप पर भेजने की बात कही। जिसे ब्लड बैंक कार्मिक द्वारा उपलब्ध नहीं करवाया गया। जिससे उनकी मंशा स्पष्टतया संदिग्ध लगती है। वहीं, चालाना और कोठारी हॉस्पिटल के ब्लड बैंक को एक ही बताना भी कई सवाल खड़े करता है।

बहरहाल, रवि व्यास पारीक द्वारा लगाए गए ये आरोप अत्यंत गंभीर हैं और इनकी गहन जांच होनी चाहिए। आपदा की स्थिति में, खासकर जब सैनिकों की बात आती है, तो किसी भी प्रकार का अनुचित लाभ उठाना न केवल अनैतिक है, बल्कि कानूनी रूप से भी गलत हो सकता है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस मामले पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और जरूरतमंद मरीजों को बिना किसी शोषण के रक्त उपलब्ध हो सके।