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प्रतिभाओं का मंच अभ्युदय: भीलवाड़ा में बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के कौशल विकास का अभिनव प्रयास



अजय त्यागी 2025-05-15 10:50:13 राजस्थान

बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के लिए निःशुल्क अभिरुचि शिविर
बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के लिए निःशुल्क अभिरुचि शिविर
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भीलवाड़ा में भारत विकास परिषद्, स्वामी विवेकानन्द शाखा ने एक अत्यंत सराहनीय और संवेदनशील पहल करते हुए बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के लिए निःशुल्क अभिरुचि शिविर 'अभ्युदय' का आयोजन किया है। 'एक अनोखी पहल...सहारा नहीं साथ चाहिए...' के प्रेरक संदेश के साथ शास्त्रीनगर स्थित भारत विकास भवन में इस शिविर का भव्य शुभारंभ हुआ। इस विशेष शिविर के पहले ही दिन 32 बौद्धिक दिव्यांग बच्चों ने पूरे उत्साह के साथ विभिन्न रचनात्मक और कौशल-आधारित गतिविधियों में भाग लिया, जो उनकी प्रतिभाओं को निखारने और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

'अभ्युदय' शिविर का भव्य शुभारंभ और पहले दिन की गतिविधियाँ:

भारत विकास भवन, शास्त्रीनगर में आयोजित 'अभ्युदय' शिविर का उद्घाटन समारोह गरिमामय रहा, जिसमें भारत विकास परिषद राजस्थान मध्य प्रांत के पूर्व अध्यक्ष पारसमल बोहरा ने अपने प्रेरणादायक विचार व्यक्त किए। महिला संयोजिका अनु हिम्मतरामका ने बताया कि शिविर के पहले दिन अनुभवी प्रशिक्षकों ने अपनी विशेषज्ञता से बच्चों को विभिन्न कलाओं और कौशलों से परिचित कराया। 32 बच्चों को तीन अलग-अलग समूहों में विभाजित करके प्रशिक्षण दिया गया, ताकि प्रत्येक बच्चे पर व्यक्तिगत ध्यान दिया जा सके।

विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा कौशल विकास:

शिविर में विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया, जिनमें बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। आशा काबरा ने सरल और मनोरंजक तरीके से इंग्लिश स्पीकिंग की कक्षाएं लीं, जिससे बच्चों ने नए शब्दों और वाक्यों को सहजता से सीखा। निहारिका तोषनीवाल ने वोकेशनल प्रशिक्षण के अंतर्गत बच्चों को दैनिक जीवन में उपयोगी कौशल सिखाए, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनने की ओर प्रेरित करेंगे। विनीता गुरनानी ने अपनी ऊर्जावान शैली में बच्चों को नृत्य की विभिन्न मुद्राओं से अवगत कराया, जिससे उन्होंने लय और ताल का अनुभव किया। रेखा सिंह ने आर्ट एंड क्राफ्ट की कक्षा में बच्चों की रचनात्मकता को पंख दिए, जहाँ उन्होंने रंगों और आकारों के साथ अपनी कल्पना को साकार किया। विनीता चौधरी और कृष्णा अग्रवाल ने मिलकर बच्चों को जिम्नास्टिक के मूलभूत आसनों का अभ्यास कराया, जिससे उनके शारीरिक विकास और समन्वय को बढ़ावा मिला।

आयोजन में सक्रिय योगदान:

इस महत्वपूर्ण शिविर की तैयारियों और सफल आयोजन में परिषद् के अध्यक्ष गिरीश अग्रवाल, सचिव केजी सोनी, कोषाध्यक्ष आदित्य मानसिंहका के साथ विनती तापड़िया, गायत्री आचार्य, सुचिता झंवर भी सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं। महिला संयोजिका अन्नू हिम्मतरामका महिला प्रतिभागियों की विशेष जरूरतों का ध्यान रख रही हैं, जबकि प्रकल्प प्रभारी आशा काबरा पूरे शिविर की प्रगति पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक बच्चे को सर्वोत्तम संभव मार्गदर्शन और अवसर मिले।

शिविर का उद्देश्य और समाज से अपील:

अध्यक्ष गिरीश अग्रवाल ने शिविर के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका मुख्य लक्ष्य बौद्धिक दिव्यांग बच्चों की अद्वितीय प्रतिभाओं को पहचानना और उन्हें एक ऐसा समावेशी मंच प्रदान करना है जहाँ वे अपनी विशिष्ट क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकें और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें। उन्होंने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे इन बच्चों के प्रति संवेदनशील रहें और उन्हें विकास के समान अवसर प्रदान करने में अपना सक्रिय सहयोग दें, ताकि ये बच्चे भी समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर सकें।

शिविर की अवधि और भविष्य की योजनाएं:

यह निःशुल्क अभिरुचि शिविर 25 मई तक चलेगा और इस दौरान बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न रचनात्मक, शैक्षिक और मनोरंजक गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। इसके अतिरिक्त, बच्चों को उनके प्रयासों और प्रगति को मान्यता देने के लिए महात्मा गांधी अस्पताल के सहयोग से प्रमाण पत्र भी बनवाए जाएंगे, जो उनके आत्मविश्वास को और बढ़ावा देगा।

भीलवाड़ा में भारत विकास परिषद्, स्वामी विवेकानन्द शाखा द्वारा आयोजित 'अभ्युदय' शिविर बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के जीवन में एक नई उम्मीद और उत्साह का संचार कर रहा है। 'सहारा नहीं साथ चाहिए' के इस प्रेरक संदेश के साथ, यह शिविर न केवल बच्चों की प्रतिभाओं को निखार रहा है, बल्कि उन्हें समाज में सम्मान और स्वीकृति दिलाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल समाज के अन्य संगठनों और व्यक्तियों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत है कि वे भी इस नेक कार्य में अपना योगदान दें और समावेशी समाज के निर्माण में भागीदार बनें।

रिपोर्ट - पंकज पोरवाल, भीलवाड़ा।