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देवभूमि का ऐतिहासिक निर्णय: मदरसों में सेना के शौर्य के शिक्षण से रोशन होगा हर छात्र का भविष्य



अजय त्यागी 2025-05-20 04:27:03 उत्तराखंड

देवभूमि का ऐतिहासिक निर्णय
देवभूमि का ऐतिहासिक निर्णय
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उत्तराखंड, जिसे 'देवभूमि' के साथ-साथ 'सैन्य धाम' भी कहा जाता है, में एक क्रांतिकारी शैक्षिक पहल की जा रही है। उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने मदरसों के पाठ्यक्रम में भारतीय सेना के पराक्रम और बलिदान की गाथा 'ऑपरेशन सिंदूर' को शामिल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह फैसला न केवल मदरसों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि वहां पढ़ने वाले बच्चे देश के वीर सपूतों की शौर्य गाथाओं से परिचित हों। यह पहल दर्शाती है कि आज की धार्मिक शिक्षाएं भी राष्ट्रहित को सर्वोपरि मान रही हैं, और यह सोच आने वाले समय में भारत को और भी मजबूत, एकजुट और सशक्त बनाएगी।

आधुनिक मदरसों का नया पाठ्यक्रम:

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने इस फैसले का खुले दिल से स्वागत किया है। उन्होंने बताया कि वक्फ बोर्ड के तहत कुल 117 मदरसे हैं और इन सभी को आधुनिक बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। इस आधुनिकीकरण के तहत मदरसों के पाठ्यक्रम में एनसीईआरटी के सिलेबस को शामिल किया जाएगा, जिससे मदरसे के छात्र mainstream शिक्षा प्रणाली से जुड़ सकेंगे। शम्स ने जोर देकर कहा कि इस पहल के माध्यम से मदरसों के बच्चों को देश के सैनिकों के पराक्रम और बलिदान के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। उनका कहना है कि यह देवभूमि उत्तराखंड है, जो एक सैन्य धाम है, और अगर यहां के मदरसे के बच्चे 'ऑपरेशन सिंदूर' नहीं पढ़ेंगे तो कहां पढ़ेंगे?

हर घर से सैनिक निकलने की प्रेरणा:

शादाब शम्स ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब राज्य के राज्यपाल स्वयं एक लेफ्टिनेंट जनरल और मुख्यमंत्री एक सैनिक के पुत्र हों। उन्होंने कहा, "जहां के गर्वनर लेफ्टिनेंट जनरल और मुख्‍यमंत्री एक सैनिक के पुत्र हों, अगर वहां के बच्‍चे ऑपरेशन सिंदूर नहीं पढ़ेंगे तो कहां के पढ़ेंगे?" उनका मानना है कि इस तरह की शिक्षा से हर घर से एक सैनिक निकलने की प्रेरणा मिलेगी। 'ऑपरेशन सिंदूर' का पाठ पढ़कर बच्चे भारत के वीर सपूतों और जीते गए युद्धों के बारे में जानेंगे। यह पाठ भारतीय सेना की कुर्बानियों को समझाएगा और बच्चों को यह सिखाएगा कि "वतन से मोहब्बत आधा ईमान है।"

कर्नल सोफिया कुरैशी से प्रेरणा और सीएम धामी से अनुरोध:

शादाब शम्स ने कर्नल सोफिया कुरैशी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने जिस तरह से देश का नाम रोशन किया है, वह कई मुस्लिम बच्चों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। उन्हें विश्वास है कि इन मदरसों से बेटियां भी सोफिया कुरैशी की तरह बनकर निकलेंगी, जो देश सेवा में अपना योगदान देंगी। इसके साथ ही, उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अनुरोध किया कि इसी तर्ज पर जल्द से जल्द एनसीईआरटी के सिलेबस में भी सेना की शौर्य गाथाओं को शामिल करने का प्रयास करें।

'ऑपरेशन सिंदूर' का महत्व:

जानकारी के अनुसार, नए पाठ्यक्रम में 'ऑपरेशन सिंदूर' का एक विशेष पाठ शामिल किया जाएगा। इसके लिए पाठ्यक्रम समिति की बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी। 'ऑपरेशन सिंदूर' भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण और सफल संयुक्त प्रयास को बयान करता है। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा चलाया गया था, जिसमें पाकिस्तान स्थित नौ आतंकी ठिकानों को एक ही रात में नेस्तनाबूद कर दिया गया था। यह ऑपरेशन भारतीय सेना के सटीक नियोजन, अदम्य साहस और आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड का यह फैसला आधुनिक शिक्षा और राष्ट्रीय चेतना के बीच एक पुल का काम करेगा, जिससे मदरसों के छात्र देश के प्रति अपने कर्तव्यों और सेना के बलिदान को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे। यह एक ऐसा कदम है जो 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के सिद्धांत को मजबूत करता है।