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आरबीआई के फैसले का दर्दनाक पहलू: बैंक लाइसेंस रद्द, 55 लाख फंसे, सदमे से पत्नी की मौत



अजय त्यागी 2025-05-21 03:02:49 पंजाब

 सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी विजय कुमार
सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी विजय कुमार
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पंजाब के जालंधर में एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी विजय कुमार इस समय गहरे संकट से जूझ रहे हैं। उनका आरोप है कि जालंधर स्थित इंपीरियल अर्बन कोऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द होने के बाद उनके 55 लाख रुपये फंस गए हैं। यह स्थिति उनके लिए इतनी हृदयविदारक साबित हुई कि उनकी पत्नी, जो स्वयं एक सेवानिवृत्त शिक्षिका थीं, इस सदमे से डिप्रेशन में चली गईं और उनका निधन हो गया। यह मामला न केवल वित्तीय सुरक्षा, बल्कि सहकारी बैंकों के नियमन और उसके आम नागरिक पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

विजय कुमार का दर्दनाक संघर्ष:

76 वर्षीय विजय कुमार ने बताया कि पिछले कई दशकों से उनका खाता इंपीरियल अर्बन कोऑपरेटिव बैंक में था। उन्होंने अपनी सारी सेवानिवृत्ति की बचत फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के रूप में इसी बैंक में रखी थी। जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया, तो उन्हें जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (DICGC) के नियमों के तहत केवल 5 लाख रुपये का भुगतान किया गया। यह राशि उनके कुल जमा का एक छोटा सा हिस्सा है, जबकि DICGC के तहत प्रति जमाकर्ता 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर होता है, जिसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होते हैं।

कुमार ने दुखद रूप से बताया कि जब उनकी पत्नी को इस स्थिति के बारे में पता चला, तो वह गहरे अवसाद में चली गईं और अंततः उनका निधन हो गया। यह घटना उनके लिए न केवल वित्तीय, बल्कि भावनात्मक रूप से भी एक बड़ा आघात है। भावुक कुमार ने कहा, "मुझे नहीं पता कि कैसे जीना है, क्या करना है। कोई भी मेरा दर्द नहीं समझ सकता। मेरे पास मेरा बेटा है जो एक दुकान चलाता है। मैं इस बारे में भारत के मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति को लिखूंगा और न्याय की मांग करूंगा।"

बैंक अधिकारियों का खंडन और अन्य शिकायतकर्ता:

जब बैंक अधिकारियों से इस मामले पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने विजय कुमार के आरोपों से इनकार किया। नाम न छापने की शर्त पर बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमने जमाकर्ताओं को आश्वासन दिया है कि उन्हें उनका पैसा वापस मिल जाएगा। पैसा फंसा नहीं है। जैसे ही हमें आरबीआई से आदेश मिलेगा, उन्हें उनका पैसा मिल जाएगा।"

हालांकि, विजय कुमार अकेले नहीं हैं। कमलजीत भाटिया नामक एक अन्य शिकायतकर्ता ने भी बताया कि उनके 10 लाख रुपये इसी बैंक में फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा, "मैंने जिला न्यायालय में भी मामला दायर किया है और हमें न्याय मिलने की उम्मीद है।" यह स्थिति कई अन्य जमाकर्ताओं के लिए भी चिंता का विषय है, जिनकी गाढ़ी कमाई बैंक के बंद होने के बाद अधर में लटक गई है।

आरबीआई का निर्णय और जमाकर्ताओं की सुरक्षा:

भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2025 में अपर्याप्त पूंजी और पर्याप्त कमाई की संभावना न होने के कारण इंपीरियल अर्बन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जालंधर का लाइसेंस रद्द कर दिया था। आरबीआई ने स्पष्ट किया था कि बैंक को अपना कारोबार जारी रखने देना जमाकर्ताओं के हितों के लिए हानिकारक होगा। इस निर्णय के बाद, बैंक को सभी बैंकिंग गतिविधियां, जिसमें जमा स्वीकार करना और जमा राशि का भुगतान करना शामिल है, बंद करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। आरबीआई के अनुसार, 31 जनवरी 2025 तक, डीआईसीजीसी ने बीमाकृत जमा राशि के 5.41 करोड़ रुपये का भुगतान प्रभावित जमाकर्ताओं को कर दिया था, और बैंक के 97.79% जमाकर्ता अपने बीमाकृत जमा का पूरा पैसा प्राप्त करने के हकदार हैं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि ₹5 लाख से अधिक की जमा राशि वाले लोगों को अपनी शेष राशि वापस मिलने की गारंटी नहीं होती है, जैसा कि विजय कुमार के मामले में दिख रहा है।

यह मामला सहकारी बैंकों में जमाकर्ताओं की सुरक्षा और आरबीआई के नियामक ढांचे पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ता है, विशेषकर उन बुजुर्गों के लिए जिनकी पूरी जीवन भर की कमाई ऐसे संस्थानों में जमा होती है।


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