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केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री के संज्ञान में आया मामला: PM मोदी की सभा में पत्रकारों से अभद्रता पर कार्रवाई का आश्वासन



अजय त्यागी 2025-05-24 08:46:43 स्थानीय

बीकानेर रेंज आई जी से मुलाकात करता प्रतिनिधि मण्डल
बीकानेर रेंज आई जी से मुलाकात करता प्रतिनिधि मण्डल
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लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार, जब सत्ता के सबसे बड़े मंच पर भी अपमानित महसूस करें, तो यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीकानेर दौरे के दौरान, कुछ पुलिस अधिकारियों द्वारा पत्रकारों के साथ की गई अभद्रता ने न केवल स्थानीय मीडिया में रोष पैदा किया है, बल्कि इसकी गूंज अब राजनीतिक गलियारों तक पहुंच गई है। यह सिर्फ एक मामूली कहासुनी नहीं, बल्कि लोकतंत्र के मूल्यों पर एक गंभीर प्रहार है, जिसकी जांच और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन अब स्वयं उच्चाधिकारियों द्वारा दिया जा रहा है।

बीकानेर में पत्रकारों से अभद्रता: एक गंभीर घटनाक्रम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीकानेर यात्रा के दौरान, कार्यक्रम स्थल पर कुछ पुलिस अधिकारियों द्वारा पत्रकारों के साथ अभद्रता का एक गंभीर मामला सामने आया है। पत्रकारों ने आरोप लगाया है कि पुलिस अधिकारियों ने न केवल मीडिया बस के ड्राइवर को थप्पड़ मारने का प्रयास किया, बल्कि पत्रकारों के साथ धक्का-मुक्की भी की। इस घटना में एक आरपीएस (राजस्थान पुलिस सेवा) अधिकारी और एक इंस्पेक्टर-स्तर का अधिकारी शामिल थे। यह व्यवहार तब हुआ जब पत्रकार प्रधानमंत्री की सभा को कवर करने पहुंचे थे। इस घटना ने बीकानेर के पत्रकार समुदाय में गहरा रोष पैदा कर दिया है।

पत्रकारों का एकजुट विरोध और ज्ञापन

इस अभद्र व्यवहार के विरोध में, बीकानेर के वरिष्ठ पत्रकार एक मंच पर एकजुट हुए। उन्होंने बीकानेर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) ओमप्रकाश पासवान और बीकानेर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कावेंद्र सिंह सागर से मुलाकात की। पत्रकारों ने आईजी और एसपी को घटना का विस्तृत विवरण दिया, जिसमें बताया गया कि कैसे उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। उन्होंने दोषी अधिकारियों के फोटो और घटनाक्रम का वीडियो भी पुलिस अधिकारियों को सबूत के तौर पर उपलब्ध कराया। पत्रकारों के प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त हस्ताक्षर से एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। प्रतिनिधिमंडल में दीपचंद सांखला, लक्ष्मण राघव, हरीश बी शर्मा, प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अनुराग हर्ष, भवानी जोशी, जय नारायण बिस्सा, पन्नालाल नांगल, के.के. सिंह, अरविंद व्यास, विक्रम जागरवाल, रौनक व्यास, प्रमोद आचार्य, रमेश बिस्सा, रमजान मुगल, नौशाद अली, गुलाम रसूल, जार अध्यक्ष राजेश ओझा, शिव भादानी, सुमित व्यास, जितेंद्र नांगल, दिनेश जोशी जैसे वरिष्ठ पत्रकार शामिल थे।

पुलिस महानिरीक्षक और भाजपा का आश्वासन

इस मामले पर पुलिस महानिरीक्षक ओमप्रकाश पासवान ने पत्रकारों को सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि दोषी पुलिसकर्मी के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया गया है और उच्च अधिकारी से जांच करवाई जाएगी। वहीं, इस मामले में भाजपा जिलाध्यक्ष सुमन छाजेड़ के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल भी पुलिस महानिरीक्षक से मिला। सुमन छाजेड़ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मीडिया और मीडियाकर्मी लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हैं और उनका अपमान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री की सभा में जिन पुलिसकर्मियों ने बदसलूकी की, उन पर तुरंत कार्रवाई की जाए ताकि मीडियाकर्मियों का स्वाभिमान बना रहे। जिला महामंत्री मोहन सुराणा ने बीकानेर के मीडियाकर्मियों को 'बहुत सरल, व्यावहारिक और सहनशील' बताते हुए उनके साथ किसी भी प्रकार की बदसलूकी को असहनीय बताया। जिला मीडिया प्रभारी मनीष सोनी ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। इस प्रतिनिधिमंडल में जिला महामंत्री श्याम सुंदर चौधरी, नरेश नायक, सुखचेन नायक और विमल पारीक भी साथ रहे।

केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री के संज्ञान में मामला

यह मामला अब उच्च स्तर पर पहुंच गया है। केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने फोन पर इस विषय की सारी जानकारी ली है और आला अधिकारियों से बात कर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। इसके अतिरिक्त, भाजपा नेता मनीष सोनी के फेसबुक पेज के अनुसार, यह घटना स्वयं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के संज्ञान में लाई जा चुकी है। सोनी ने अपनी पोस्ट में 'कांग्रेसी मानसिकता के अधिकारी अब बोरिया बिस्तर बांध लें' जैसे कड़े शब्दों का प्रयोग करते हुए यह भी कहा है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस विषय पर संज्ञान लिया है, जिससे दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की उम्मीद बढ़ गई है।

कांग्रेस का बयान: सरकार पर तानाशाही का आरोप

इस घटना पर कांग्रेस देहात अध्यक्ष बिशनाराम सियाग ने भी गहरी नाराजगी जताई है। सियाग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीकानेर यात्रा के दौरान पुलिस प्रशासन ने 'बेपरवाही के अनेक उदाहरण' प्रस्तुत किए। उन्होंने 46 डिग्री से ऊपर की गर्मी में हजारों लोगों को पेयजल की सुविधा न मिलने और मीडियाकर्मियों से हुई बदसलूकी को 'सरकार की मानसिकता' का परिचायक बताया। सियाग ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार में पुलिस प्रशासन की तानाशाही इतनी बढ़ गई है कि पत्रकारों के साथ भी बदतमीजी की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि पीएम मोदी के दौरे से एक दिन पहले सोशल मीडिया पर कुछ सवाल पूछने पर उन्हें नजरबंद कर दिया गया था, जिसे उन्होंने 'सच्चाई के खिलाफ आवाज उठाना भी भाजपा को बर्दाश्त नहीं' के रूप में देखा। सियाग ने दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

बीकानेर में प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान पत्रकारों के साथ पुलिस की यह अभद्रता एक गंभीर मुद्दा है जो प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतंत्र में उसकी भूमिका पर सवाल उठाता है। यह घटना सिर्फ एक स्थानीय विवाद नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय बहस का विषय बन गई है, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दल भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। पुलिस महानिरीक्षक, केंद्रीय मंत्री और स्वयं मुख्यमंत्री द्वारा कार्रवाई के आश्वासन के बाद यह देखना होगा कि इस मामले में कितनी प्रभावी और त्वरित कार्रवाई होती है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि सार्वजनिक आयोजनों के दौरान, विशेषकर जहां अति महत्वपूर्ण व्यक्ति मौजूद हों, सुरक्षा व्यवस्था और मीडिया प्रबंधन के बीच संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।