Sun, 29 December 2024 11:20:07pm
अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन की तैयारी जोर शोर से चल रही है। 22 जनवरी को रामलला भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पीएम मोदी शामिल होंगे। राम मंदिर उद्घाटन की तारीख नजदीक आने के साथ भक्तों की खुशी और उत्साह बढ़ता जा रहा है। राम भक्तों को प्राण प्रतिष्ठा का बेसब्री से इंतजार है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त पर वाराणसी निवासी पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुहूर्त भगवान की इच्छा के अनुसार है। उन्होंने शुभ मुहूर्त को पंचांग वालों के नहीं देने पर भगवान की इच्छा बताया।
राम मंदिर उद्घाटन का कब है मुहूर्त?
गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने कहा कि शुभ मुहूर्त की स्थिति कभी-कभी विशेष प्रसंग से प्रकट होती है। बता दें कि अधूरे राम मंदिर के उद्घाटन पर विवाद जारी है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि आधे-अधूरे मंदिर में भगवान की स्थापना न्यायोचित और धर्मसम्मत नहीं है। पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज भी इस पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने निमंत्रण मिलने के बावजूद प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अयोध्या नहीं जाने के फैसले पर कहा कि स्थापित परंपराओं का पालन नहीं करने की वजह से नहीं जाने का निर्णय लिया है।
वाराणसी के गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ बोले
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने बताया कि 22 जनवरी के दिन सोमवर समय दोपहर 12.30 बजे से बेहतर समय मुहूर्त का नहीं हो सकता है। उन्होंने बताया कि राजा विक्रमादित्य जिनका संवत चल रहा है, उनके दरबार में नवरत्न रहे। उसमें कालिदास का भी स्थान है। वह लिखते हैं कि इसका मतलब है कि सर्वांगीण विचार है इसको चतुर्थ विचार कहते हैं। हमारे शास्त्र में चतुर्थ विचार के हिसाब से यह मुहूर्त है। और ऐसे मुहूर्त कोई हमारे सोचने से नहीं आते। भगवान की ही इच्छा वैसी है कि अब कायम यहां रहना है और विश्व को सुधारना है तो वह मुहूर्त मिला है। इसको पंचांग वालों ने नहीं दिया तो रह गया, भगवान की इच्छा। कभी-कभी कोई चीज विशेष प्रसंग से ही प्रकट होती है, उस तरह का यह मुहूर्त है। हम बता रहे हैं पोष शुक्ल द्वादशी, सोमवार, मृगशीर्ष नक्षत्र दिनांक 22 जनवरी 2024 के दिन दोपहर अभिजीत मुहूर्त में, वृष लग्न में, वृश्चिक नवांश में, लगभग 12:30 बजे का वह मुहूर्त है। इसमें प्रतिष्ठा होगी। इसमें वृष लग्न में गुरु है। गुरु की पांचवें स्थान पर, सातवें स्थान पर और नवे स्थान पर पूर्ण दृष्टि होती है। इसलिए इससे बढ़िया तो कोई मुहूर्त मिल नहीं सकता।