Fri, 20 September 2024 03:12:27am
दलबदल विरोधी कानून की समीक्षा के लिए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया है। यह घोषणा रविवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान की।
संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत दल-बदल विरोधी कानून उन विधायकों पर लगाम लगाने के लिए लागू किया गया था, जो बार-बार सियासी दलों का पाला बदलते हैं। यदि कोई चुना हुआ विधायक अपनी मर्जी से पार्टी को बदलता है या पार्टी के निर्देश के खिलाफ मतदान करता है, तो इस कानून के तहत उसे विधायिका से अयोग्य ठहराने का प्रावधान है। हालांकि, इस कानून के प्रावधान के तहत यदि किसी पार्टी के दो-तिहाई चुने हुए सदस्य किसी अन्य पार्टी के साथ विलय करते हैं, तो उन्हें अयोग्यता से छूट दी जाती है।
बिरला ने कहा, दो दिवसीय सम्मेलन में पीठासीन अधिकारियों ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को जनता से जोड़ने और उन्हें अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाने के लिए कार्य योजना पर चर्चा की गई। लोकसभा अध्यक्ष ने राज्य और जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोकतांत्रिक संस्थानों की संचार के चैनल स्थापित करने के सुझाव की सराहना की।