Fri, 20 September 2024 03:00:48am
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने रविवार को कहा कि भारत के स्वदेशी समुदाय अक्सर मुख्यधारा के धर्मों द्वारा धर्मांतरण के प्रयासों का लक्ष्य बन गए हैं। जिससे व्यक्तियों को भौतिक लालच देकर भ्रमित किया जाता है। उन्होंने युवा पीढ़ी से स्वदेशी आस्थाओं और धर्मों को जीवित रखने का आग्रह किया। साध ही उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों को साझा किया।
स्वदेशी समुदाय बन रहे धर्मांतरण कराने वालों का निशाना
आठवें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और बुजुर्गों की सभा के उद्धाटन सत्र में बोलते हुए उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से भारत में स्वदेशी समुदाय अक्सर मुख्यधारा के धर्मों द्वारा रूपांतरण प्रयासों का लक्ष्य बन जाते हैं। कई धार्मिक समूहों द्वारा की जाने वाली गतिविधियों के परिणामस्वरूप स्वदेशी आस्था का पालन करने वालों की आबादी में गिरावट आ सकती है। उन्होंने कहा कि मिशनरी संगठनों द्वारा दिए जाने वाले भौतिक लाभ, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल लाभों का प्रलोभन व्यक्तियों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रभावित करता है।
आस्थाओं को मानने वालों की आबादी में गिरावट- सरमा
उन्होंने कहा कि हमें स्वदेशी धार्मिक प्रथाओं की रक्षा करनी होगी। इन आस्थाओं को मानने वालों की आबादी में गिरावट दर्ज की गई है। जिसका असर संस्कृति और प्रथाओं पर पड़ता है। सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि स्वदेशी आस्थाओं और प्रथाओं का पालन करना युवा पीढ़ी का दायित्व और कर्तव्य है। प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करना आवश्यक हैं।
जनजातीय आस्था के संरक्षण के लिए विभाग बनाए- सरमा
अपने संबोधन में उन्होंने बिरसा मुंडा के योगदान को याद किया। साथ ही उन्होंने कहा कि कैसे महात्मा गांधी ने बड़े पैमाने पर धर्मांतरण का कड़ा विरोध किया था। सीएम सरमा ने कहा कि स्वेदशी आस्थाओं को संरक्षित करने केलिए असम सरकार ने स्वदेशी और जनजातीय आस्था और संस्कृति विभाग बनाया है, जो चौबीसों घंटे काम करता है।