Wed, 01 January 2025 09:30:38pm
महाराष्ट्र फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने एक फर्जी दवा रैकेट का पर्दाफाश किया है। टीम ने नागपुर के एक सरकारी अस्पताल से 21,600 गोलियां जब्त की हैं जो एंटीबायोटिक सिप्रोफ्लोक्सासिन बताकर दी गईं थीं। एफडीए के एक अधिकारी ने शनिवार (3 फरवरी) को इस कार्रवाई की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि इस नकली दवा के संबंध में तीन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। इसमें से एक पहले से ही जेल में बंद है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने बताया कि जो दवाई बरामद की गई है, वह पिछले साल सरकारी कॉन्ट्रैक्ट प्रक्रिया के जरिये खरीदी गई थी। इसे हाल ही में इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज से जब्त किया गया था, जो जिले में सरकारी सुविधाओं के लिए दवाओं की आपूर्ति करता है। यहां से जो गोली मिली, उसका नाम सिप्रोफ्लोक्सासिन बताया गया था और इसका इस्तेमाल कई बैक्टीरियल इन्फेक्शन के इलाज के लिए किया जाता है।
पिछले साल मार्च में सामने आया था इस तरह का खेल
एफडीए अधिकारी ने कहा कि मार्च 2023 में एफडीए ने नागपुर से करीब 40 किमी दूर कलमेश्वर तहसील में एक सरकारी स्वास्थ्य सुविधा से सिप्रोफ्लोक्सासिन गोलियों के सैंपल लिए थे और इसे एक सरकारी लैब में भेजा था। दिसंबर 2023 में इसकी रिपोर्ट आई, जिसमें बताया गया कि ये गोलियां नकली हैं। चूंकि गोलियों की आपूर्ति नागपुर स्थित इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जरिये की गई थी, इसलिए एफडीए अधिकारियों ने हाल ही में वहां स्टोर पर छापा मारा और उसी ब्रांड की 21,600 गोलियों का स्टॉक जब्त कर लिया।
फर्जी कंपनी का नाम यूज कर बना रहे थे दवाई
जांच से पता चला कि दवाई का निर्माण रिफाइंड फार्मा गुजरात नामक फर्जी कंपनी की ओर से किया गया था। अधिकारी ने बताया कि जब चेक किया गया तो ऐसी कोई कंपनी नहीं मिली। कलमेश्वर पुलिस ने इस मामले में ठाणे के विजय शैलेन्द्र चौधरी, लातूर के निवासी हेमंत धोंडीबा मुले और ठाणे के पास भिवंडी के मिहिर त्रिवेदी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मुख्य आरोपी चौधरी पहले से ही फर्जी दवा बिक्री मामले में जेल में हैं। अधिकारियों ने बताया कि चौधरी ने त्रिवेदी को गोलियां दी थीं।