Sun, 29 December 2024 11:22:43pm
भारत में कैंसर से लड़ने वाले सबसे बड़े एनजीओ इंडियन कैंसर सोसाइटी (आईसीएस) ने एक अभूतपूर्व मोबाइल एप राइज अगेंस्ट कैंसर पेश कर विश्व कैंसर दिवस मनाया। मेड इन इंडिया एप का मकसद कैंसर मुक्त भारत बनाने के लिए जानकारी की कमी दूर करना, जागरूकता बढ़ाना और संबद्ध समुदायों को एकजुट करना है। इस अभियान में राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) और रोश प्रोडक्ट्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड ने भी अपना समर्थन दिया।
हर साल लाखों लोगों को होता है कैंसर
ग्लोबोकैन के आंकड़ों के अनुसार, हर साल लगभग 13 लाख लोगों में कैंसर का पता चलता है। अगर इससे जान गंवाने वाले आंकड़े पर गौर करें तो केवल वर्ष 2020 में लगभग 800 हजार लोगों ने इस बीमारी से दम तोड़ दिए। आंकड़ों की गंभीरता समझते हुए आईसीएस ने अगले एक दशक में कुल वयस्क आबादी के 50 प्रतिशत लोगों तक पहुंचने का मिशन बनाया है। यह बीमारी का जल्द पता लगाने और बिना देरी इलाज शुरू करने के लिए कैंसर के बारे में सटीक जानकारी और सलाह देगा।
मरीजों को मिलेगा सटीक मार्गदर्शन
इंडियन कैंसर सोसायटी की नेशनल मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीमती उषा थोराट ने कहा कि कैंसर पूरी दुनिया के सामने एक गंभीर समस्या बनी हुई है। भारत सहित पूरी दुनिया के लाखों लोगों का जीवन इससे बुरी तरह प्रभावित है। इसलिए आईसीएस की दिल्ली शाखा ने पहल करते हुए इसकी रोकथाम में मोबाइल टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने की ठान ली है। इससे कैंसर पीड़ितों और उनके परिवारजनों को पूरी जानकारी और सटीक मार्गदर्शन आसानी से मिलेगा।
पांच भाषाओं में उपलब्ध
थोराट ने आगे कहा कि आईसीएस की राष्ट्रीय प्रबंधन समिति के प्रतिनिधि होने के नाते हमें आज यह एप लॉन्च करने की बहुत खुशी है। एप पांच भाषाओं- हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़, मराठी और बांग्ला में उपलब्ध होगा। हमें विश्वास है कि आने वाले चरणों में अन्य फीचर और भाषाएं जुड़ेंगी।
इस अवसर पर आईसीएस दिल्ली शाखा की अध्यक्ष श्रीमती ज्योत्सना गोविल ने कहा कि आईसीएस समुदाय की जरूरतें और समय की मांग बखूबी समझता है। इसलिए आईसीएस बहुत बारीकी से यह मोबाइल एप्लिकेशन तैयार करने में सफल रहा है।
यह है खासियत
राइज अगेंस्ट कैंसर एप का उद्देश्य कैंसर पीड़ितों को सक्षम बनाना है। ताकि वे स्वास्थ्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें और पूरी करें। एप में एक सूचना केंद्र, संसाधन पुस्तकालय, कार्यक्रम, समुदाय और सहायता समूह जैसे अलग-अलग सेक्शन हैं। समाचार और अपडेट के भी सेक्शन हैं। एप वर्तमान में पांच भाषाओं में उपलब्ध है और फिलहाल चार तरह के कैंसरों के बारे में जानकारी देता है।
क्लोज द केयर गैप थीम पर काम
आईसीएस पिछले सात दशकों से अधिक समय से कैंसर की रोकथाम, उपचार, इसके लिए वित्तीय सहायता और इलाज के बाद के जीवनयापन में सहयोग दे रहा है। यह कैंसर रजिस्ट्री सेवाओं के माध्यम से बहुत उपयोगी आंकड़े देता है और इंडियन जर्नल ऑफ कैंसर का प्रकाशन करता है। आईसीएस ने विश्व कैंसर दिवस 2024 की थीम क्लोज द केयर गैप पर काम करते हुए यह एप लॉन्च किया है जो कैंसर से जंग में पीड़ितों और समुदायों को सशक्त बनाने का टूल है और कई भाषाओं में उपलब्ध है।
कैंसर मरीजों के लिए आईसीएस आशा की किरण
इस एतिहासिक अवसर पर आईसीएस की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. अनीता बोर्गेस ने कहा कि आज मोबाइल एप राइज अगेंस्ट कैंसर का लॉन्च होना हमारे लिए बहुत खुशी की बात है। आईसीएस पिछले सात दशकों से कैंसर के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहा है। वंचित वर्ग के हजारों कैंसर मरीजों के लिए आईसीएस आशा की किरण है। अक्सर लोगों की नियमित जांच और इलाज मुमकिन नहीं हो पाता है। लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि हम मिल कर इसी तरह अथक प्रयास करते रहें तो लोगों को कैंसर से दो कदम आगे रहने का हौसला मिलेगा। कैंसर का जल्द पता चलेगा और इलाज भी जल्द शुरू होगा।
लॉन्च के अवसर पर आरजीसीआईआरसी के सीईओ डी. एस. नेगी ने कहा कि हम ने कैंसर से लड़ने की ठान रखी है और इसकी रोकथाम के लिए उपचार का महत्व समझते हैं। आईसीएस टीम के मोबाइल एप राइज अगेंस्ट कैंसर लॉन्च पर पूरी टीम को बधाई । यह एप कैंसर की रोकथाम के लिए जागरूकता और जानकारी बढ़ाने में कारगर होगा।
इंडियन कैंसर सोसाइटी का परिचय
इंडियन कैंसर सोसाइटी का गठन डॉ. डी. जे. जुसावाला और नवल टाटा ने 1951 में किया। यह कैंसर से लड़ने वाला भारत का पहला गैर-आर्थिक लाभ संगठन है। आईसीएस कैंसर से जुड़े सभी पहलुओं पर काम करता है जैसे कि जागरूकता बढ़ाना, प्रारंभिक जांच, वित्तीय सहायता, सहायता समूह, कैंसर से उबरने के बाद जीवनयापन में सहयोग, अनुसंधान, रजिस्ट्री और जानकारी देना आदि। इसके अलावा, आईसीएस इंडियन जर्नल ऑफ कैंसर प्रकाशित करता है, जो भारत का पहला इंडेक्स्ड ऑन्कोलॉजी जर्नल है। आईसीएस अब तक 480,000 से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग कर चुका है। इसके अलावा 44,000 लोगों को कैंसर के निदान, उपचार, उबरने के बाद जीवनयापन और पुनर्वास में सहयोग दे चुका है।