Fri, 20 September 2024 03:10:16am
स्वदेशी तकनीक के जरिए रक्षा बलों की क्षमता बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय लगातार काम कर रहा है। इसी क्रम में भारत तीन नए जासूसी विमान विकसित की योजना बना रहा है। ये जासूसी विमान रेंज निगरानी मिशन के तहत दुश्मन पर पैनी नजर रखने और लंबे समय तक काम करने में सक्षम होंगे। गौरतलब है कि इस मिशन के लिए स्वदेशी तकनीक का सहारा लिया जाएगा। दावा किया गया कि इसमें इस्तेमाल होने वाली अधिकांश तकनीक और उपकरण स्वदेशी होंगे। स्वदेशी तकनीक पर आत्मनिर्भर बनने की तरफ यह एक ओर बड़ा कदम होगा।
अगले सप्ताह रक्षा मंत्रालय दे सकता है मंजूरी
योजना के संबंध में रक्षा अधिकारियों ने कहा कि भारत तीन नए जासूसी विमान के प्रस्ताव में आगे बढ़ गया है। उम्मीद है कि अगले सप्ताह रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिल सकती है। बता दें इन्हें सिग्नल इंटेलिजेंस और संचार जैमिंग सिस्टम विमान भी कहा जाता है। अधिकारियों ने कहा कि संबंधित एजेंसियां विमान निर्माताओं को विमान के लिए प्लेटफॉर्म खरीदने के लिए निविदा जारी करेंगी।
गौरतलब है कि यह सेंटर फॉर एयरबोर्न स्टडीज द्वारा संचालित की जा रही है, जो एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम समेत कई विकास परियोजनाओं पर काम कर रही है, जो मौजूदा नेत्रा विमान की अगली पीढ़ी है। इसके साथ ही भारतीय वायु सेना की स्वदेशी इंटेलिजेंस, निगरानी, लक्ष्य प्राप्ति और टोही (आई-स्टार) विमान, एम्ब्रेयर लीगेसी जेट विमान प्लेटफॉर्म पर एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (एईडब्ल्यूएंडसी) मार्क 1ए विमान, एयरबस 321 पर एईडब्ल्यूसी मार्क-2 विकसित करने की भी योजना है। सीएबीएस भारतीय तट रक्षक और भारतीय नौसेना की मध्यम दूरी की समुद्री टोही परियोजना भी विकसित कर रहा है। भारतीय तटरक्षक बल के प्रमुख महानिदेशक राकेश पाल ने हाल ही में कहा था कि सी-295-आधारित समुद्री निगरानी विमाननजर रखने के लिए एक मजबूत स्वदेशी क्षमता प्रदान करेगा।