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विधानसभा अध्यक्ष को लेकर आए अविश्वास प्रस्ताव में क्या हुआ? राजद ही नहीं सत्तापक्ष में भी लगी बड़ी सेंध



अजय त्यागी [Input - amarujala.com] 2024-02-12 02:53:28 बिहार

बिहार में सियासी घमासान - Photo : amarujala
बिहार में सियासी घमासान - Photo : amarujala
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बिहार की राजनीति के लिए सोमवार का दिन काफी अहम है। दरअसल, बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार को बहुमत परीक्षण से गुजरना है। पिछले दिनों जदयू महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हो गई थी। इसके साथ ही नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। 

महागठबंधन सरकार टूटने के बाद से ही राज्य में तमाम नेता खेला होने का दावा करते रहे हैं। इसके अलावा सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से विधायकों के बैठकों में शामिल न होने की बातें कही गईं। सोमवार को बहुमत परीक्षण से पहले विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया। इस दौरान काफी हंगामा हुआ। राजद के खेमे में सत्ता पक्ष ने सेंध लगा दी वहीं, सत्ता पक्ष में भी सेंध लग गई।

विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव में दोनों पक्षों में लगी सेंध

सोमवार को बहुमत परीक्षण से पहले विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया। इस दौरान राजद के तीन विधायकों ने पाला बदलकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट डाला। इन विधायकों में बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी और मोकामा विधायक नीलम देवी, बाहुबली आनंद मोहन के बेटे और  शिवहर विधायक चेतन आनंद और लखीसराय जिले की सूर्यगढ़ा से राजद विधायक प्रह्लाद यादव शामिल हैं। वहीं, बहुमत से पहले हुए इस टेस्ट में सत्ता पक्ष को भी झटका लगा। सदन में सदस्यों की संख्या और राजद के तीन विधायकों के पाला बदलने के बाद सत्ता पक्ष को संख्याबल के मुताबिक 131 विधायकों का समर्थन होना चाहिए था। उपाध्यक्ष के मतदान में भाग नहीं लेने पर यह संख्या 130 होती है। लेकिन, अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में केवल 125 विधायकों ने वोट डाला। यानीं, सत्ता पक्ष के पांच विधायक सदन में मौजूद नहीं रहे। 

वहीं, विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्ष के पास 114 विधायकों का समर्थन था। तीन विधायकों के पाला बदलने के बाद यह संख्या घटकर 111 हो गई। इसके बाद भी अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 112 विधायकों ने वोट डाला। माना जा रहा है कि एक अतरिक्त वोट एआईएमआईएम विधायक का है। 

कुल मिलकर माना जा रहा है कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार कायम रह गई। नीतीश कुमार सरकार के बहुमत साबित करने के पहले ही यह पक्का हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल कोटे से विधानसभा अध्यक्ष रहे अवध बिहारी चौधरी की कुर्सी छूटने के बाद उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नाम पर शक्ति परीक्षण कराया गया। इसमें नीतीश कुमार सरकार की तरफ से 125 विधायक रहे, जबकि विपक्ष में 112 एमएलए ही जुटे। बहुमत परीक्षण के नाम पर राजद को सीधे-सीधे तीन विधायकों का नुकसान उठाना पड़ा है। तेजस्वी यादव ने नीतीश को बधाई भी दे दी।

बिहार के मौजूदा सियासी समीकरण पर नजर डालें तो 243 सदस्यीय विधानसभा में 79 सीटों के साथ राजद सबसे बड़ा दल है। इसके बाद भाजपा के 78 विधायक, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, सीपीआई (एमएल) के 12, हम के 04, सीपीआई के 02, सीपीआईएम के 02 विधायक हैं। एआईएमआईएम का एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक है।