Fri, 20 September 2024 03:03:17am
हरियाणा सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए सटीक जानकारी देने वाले व्यक्तियों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से 1 लाख रु का पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। सूचना देने वालों की पहचान विभाग द्वारा गोपनीय रखी जायेगी। इस तरह सरकार और प्रशासन कन्या भ्रूण हत्या को रोकने की दिशा में उचित और प्रभावी कदम उठा रही है।
सरकार के प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि पीसी-पीएनडीटी एक्ट 1994 के तहत गर्भधारण पूर्व लिंग चयन और प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण में पहली बार शामिल पंजीकृत केंद्र संचालकों और डॉक्टरों को 3 साल की कैद और 10,000 रुपये का जुर्माने से दंडित किया जाएगा। इसके बाद दोबारा अपराध करने पर 5 साल की सजा और 50000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। इस अधिनियम के तहत, लिंग चयन के लिए उकसाने वाले पति/परिवार के सदस्य या व्यक्ति के लिए, पहले अपराध के लिए 3 साल तक की कैद और 50000 रुपये तक का जुर्माना है। इसके बाद के अपराध के लिए 5 साल तक की कैद और 1लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के सकारात्मक एवं जागरूकता प्रयासों से हरियाणा के लोगों में लैंगिक भेदभाव की सोच में अभूतपूर्व बदलाव आया है। अब बेटे-बेटियों के बीच असमानता काफी कम हो गई है और इसके सार्थक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश की बेटियों ने हर क्षेत्र में सफलता के दरवाजे खोलकर न केवल अपने माता-पिता का गौरव बढ़ाया है बल्कि प्रदेश का भी नाम ऊंचा किया है। इसके बावजूद समाज में लैंगिक समानता बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान की जरूरत है।
लैंगिक समानता बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है
प्रवक्ता ने कहा कि लैंगिक समानता बढ़ाने और जिलों में घटते लिंगानुपात को दूर करने के लिए सभी नागरिकों को एक साथ आना चाहिए और इस मुद्दे को सबसे आगे लाने के प्रयास करने चाहिए। बेटियां प्रकृति का अनमोल उपहार हैं और उन्हें इस दुनिया में आने का पूरा अधिकार है। केवल बालिका दिवस और महिला दिवस मनाने से कन्या भ्रूण हत्या समाप्त नहीं होगी। इसके लिए हम सभी को सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। जिस दिन हम अपनी बेटियों को बेटों के बराबर मानने लगेंगे उस दिन कन्या भ्रूण हत्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।