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छत्तीसगढ़ में धड़कन हुई बंद, अंतिम संस्कार के लिए बिहार लाते समय चलने लगी सांसें



अजय त्यागी [Input - amarujala.com] 2024-02-14 06:40:59 अजब - गजब

अस्पताल में उपचाराधीन रामवती देवी - Photo : amarujala
अस्पताल में उपचाराधीन रामवती देवी - Photo : amarujala

यह चमत्कार है। साक्षात। मौत के मुंह से नहीं, मरने के बाद वापसी। वह भी पूरे 18 घंटे बाद। गजब यह कि इस वापसी के लिए सड़कें जिम्मेदार मानी जा रही हैं कि झटकों से दिल दोबारा सक्रिय हो गया। 

बता दें कि, छत्तीसगढ़ में मृत घोषित होने के बाद घर वालों ने भी तसदीक की, कि धड़कन नहीं चल रही है। शरीर ठंडा हो गया। परिवार वालों ने अपनी मिट्टी में पहुंचकर अंतिम संस्कार की योजना बनाई। शव वाहन तैयार नहीं हुआ तो एम्बुलेंस में ही स्ट्रेचर पर रखकर निकले। मृत थी, इसलिए ऑक्सीजन वगैरह नहीं लगाया गया। लेकिन, बिहार की सीमा में घुसते हुए शरीर में हलचल हुई। दिल धड़कने लगा। ऑक्सीजन लगाया गया। अब वेंटिलेटर पर इलाजरत है।

दाह संस्कार करने के लिए आ रहे थे

दरअसल, बेगूसराय जिले के नीमा चांदपुरा की रहने वाली रामवती देवी कुछ दिन पूर्व अपने पुत्र मुरारी साव एवं घनस्याम साव के साथ घूमने के लिए छत्तीसगढ़ गई थी। गढ़वा इलाके में रामवती देवी के परिजन रहते थे। लेकिन, 11 फरवरी को अचानक रामवती देवी की तबीयत खराब हो गई। इसके बाद परिजनों ने उन्हें छत्तीसगढ़ के ही एक निजी नर्सिंग होम में इलाज के लिए भर्ती कराया। इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों ने आपस में विचार विमर्श के बाद महिला रामवती देवी को घर लाने का एवं घर पर ही दाह संस्कार करने का निर्णय लिया और एक निजी वाहन से रामवती देवी को लेकर बिहार के लिए रवाना हो गए।

परिजन ने चिकित्सकों से लगाई गुहार

तकरीबन 18 घंटे गुजर जाने के बाद परिजन रामवती देवी को लेकर बिहार की सीमा में घुसे, वैसे ही औरंगाबाद के समीप परिजनों को रामवती देवी के शरीर में कुछ हलचल महसूस हुई। परिजन आनन-फानन में बेगूसराय सदर अस्पताल आए जहां जांच के क्रम में चिकित्सकों ने भी माना कि रामवती देवी में अभी भी जान बाकी है। 

उन्हें आईसीयू में इलाज के लिए एडमिट किया। फिलहाल महिला का इलाज चल रहा है। एक तरफ परिजन जहां रामवती देवी की सांसें लौटने से खुश हैं। वहीं, परिजनों ने चिकित्सकों से गुहार लगाई कि रामवती देवी की बेहतर चिकित्सा व्यवस्था की जाए ताकि उनकी हालत में सुधार हो।

इस घटना को चमत्कार मान रहे डॉक्टर

सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने इस मामले को चमत्कार बताते हुए कहा कि रामवती देवी की 12 फरवरी को मौत हो जाना और फिर 13 फरवरी को तकरीबन 18 घंटे के बाद उनके शरीर में जान आना किसी चमत्कार से कम नहीं है। हालांकि, चिकित्सकों ने अनुमान लगाया है कि छत्तीसगढ़ के गढ़वा में रामवती देवी का हार्ट चॉक होने की वजह से चिकित्सकों ने उन्हें वहां मृत घोषित कर दिया लेकिन रास्ते में गाड़ी में लगे झटकों की वजह से उनकी सांसें लौट आईं। फिलहाल, उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। 



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