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छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती : पढ़ें उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें और अनमोल विचार



अजय त्यागी 2024-02-19 12:52:26 श्रृद्धांजलि

मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज
मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज

मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती फरवरी माह में मनाई जाती है। शिवाजी भारत के वीर सपूतों में से एक हैं, जिनकी शौर्यगाथा इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई है। छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता की मिसाल केवल महाराष्ट्र में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में दी जाती है और गर्व के साथ उनका नाम लिया जाता है। शिवाजी महाराज एक देशभक्त के साथ ही एक कुशल प्रशासन और साहसी योद्धा थे। उन्होंने मुगलों को परास्त किया था। राष्ट्र को मुगलों के चंगुल से आजाद कराने के लिए उन्होंने मराठा साम्राज्य की नींव रखी।

शिवाजी महाराज का जीवन परिचय

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को मराठा परिवार में हुआ था। छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम शिवाजी भोंसले था। उनके पिता शाहजी भोंसले और माता जीजाबाई थीं। उस दौर में भारत मुगल आक्रमणकारियों से घिरा हुआ था। दिल्ली सल्तनत ने दिल्ली समेत पूरे भारत पर कब्जा कर लिया था।

मुगलों के खिलाफ शिवाजी का पहला युद्ध

हिंदुओं पर संकट आया तो शिवाजी महाराज ने महज 15 वर्ष की आयु में हिंदू साम्राज्य को स्थापित करने के लिए पहला आक्रमण किया। शिवाजी ने बीजापुर पर हमला किया और कुशल रणनीति व गोरिल्ला युद्ध के जरिए बीजापुर के शासक आदिलशाह को मौत के घाट उतार दिया। साथ ही बीजापुर के चार किलों पर कब्जा कर लिया था।

छल से शिवाजी को बनाया था बंदी

जब शिवाजी के पराक्रम, गोरिल्ला युद्ध में पारंगत होने और युद्ध में कुशल रणनीति से जुड़े किस्से बढ़ने लगे तो औरंगजेब डर गया और संधि वार्तालाप के लिए शिवाजी महाराज को आगरा बुलाया। औरंगजेब ने छल से शिवाजी को बंदी तो बना लिया लेकिन वह ज्यादा दिन उनके कब्जे में न रहे और फल की टोकरी में बैठकर मुगल बंदीगृह से भाग निकले। इसके बाद उन्होंने मुगल सल्तनत के खिलाफ जंग छेड़ दी।

मराठा साम्राज्य के सम्राट 

1674 में उन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। इस दौरान उन्हें औपचारिक रूप से छत्रपति या मराठा साम्राज्य के सम्राट के रूप में ताज पहनाया गया। उस दौर में फारसी भाषा का ज्यादा उपयोग होता था, इसलिए शिवाजी ने अदालत और प्रशासन में मराठी व संस्कृत के उपयोग को बढ़ावा दिया। बाद में 3 अप्रैल 1680 को गंभीर बीमारी के कारण शिवाजी महाराज ने पहाड़ी दुर्ग राजगढ़ में अपने प्राण त्याग दिए। उनके योगदान के कारण देश के वीर सपूतों में से एक छत्रपति शिवाजी महाराज को मराठा गौरव कहा जाता है।

शिवाजी महाराज के अनमोल विचार 

अगर मनुष्य के पास आत्मबल है, तो वो समस्त संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।

इस जीवन मे सिर्फ अच्छे दिन की आशा नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि दिन और रात की तरह अच्छे दिनो को भी बदलना पड़ता है।

अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नहीं बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नहीं, तब तक उसके अंदर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नही आती।

जो मनुष्य समय के कालचक्र में भी पूरी शिद्दत से, अपने कार्यो में लगा रहता है। उसके लिए समय खुद बदल जाता है।

शत्रु को कमजोर न समझो, तो अत्यधिक बलिष्ठ समझ कर डरना भी नहीं चाहिए।

जब लक्ष्य जीत का हो, तो हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम, कोई भी मूल्य , क्यो न हो उसे चुकाना ही पड़ता है।

जब हौसले बुलंद हो, तो पहाड़ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।

एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद मे विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।

प्रतिशोध मनुष्य को जलाती रहती है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का उपाय होता है।

कोई भी कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है, क्योकी हमारी आने वाली पीढी उसी का अनुसरण करती है।

अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला, और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज कर सकता है।

स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर कोई है।

सर्वप्रथम राष्ट्र, फिर गुरु, फिर माता-पिता, फिर परमेश्वर अतः पहले खुद को नही राष्ट्र को देखना चाहिए।

शत्रु चाहे कितना ही बलवान क्यों न हो, उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र से भी परास्त किया जा सकता है।

भले हर किसी के हाथ में तलवार हो, यह इच्छाशक्ति है जो एक सत्ता स्थापित करती है।

आत्मबल, सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती है।

जो धर्म, सत्य, श्रेष्ठता और परमेश्वर के सामने झुकता है। उसका आदर समस्त संसार करता है।

हम जिस जगह रहते है उस जगह का और पूर्वजों का इतिहास हमें मालूम होना चाहिए।

उत्साह मनुष्य की ताकत, संयम और अडिगता होती है। सब का कल्याण मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए। तो कीर्ति उसका फल होगा।

हर व्यक्ति को विद्या ग्रहण करनी चाहिए। क्योंकि लड़ाई में जो काम शक्ति नहीं करती वो काम युक्ति से होता हैं और युक्ति विधा से आती हैं।

जो मनुष्य बुरे समय मे भी पूरी शिद्दत से, अपने कार्यो मे लगा रहता है। उसके लिए समय खुद बदल जाता है।

किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए नियोजन महत्वपूर्ण होता हैं। केवल नियोजन से ही आप लक्ष्य पा सकते हैं।



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