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भाजपा की रणनीति, विपक्षी पार्टियों में लगातार पड़ती फूट, शायद बूथ पर बस्ता संभालने वाले भी ना मिलें



अजय त्यागी 2024-02-19 01:32:20 समीक्षा

भाजपा के रणनीतिकार- नरेन्द्र मोदी, आदित्यनाथ योगी और अमित शाह
भाजपा के रणनीतिकार- नरेन्द्र मोदी, आदित्यनाथ योगी और अमित शाह

लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी फिलहाल सपा, कांग्रेस और बसपा जैसे विपक्षी दलों के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। चुनाव की आधिकारिक घोषणा से पहले इन पार्टियों के कुछ सदस्यों के बीजेपी में शामिल होने की उम्मीद है। वहीं, कई कार्यकर्ता भाजपा ज्वाइन भी कर चुके हैं। ऐसा लगता है कि पार्टी ने विभिन्न स्तरों पर विपक्षी दलों से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की भर्ती करने की भी योजना बनाई है। लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि विपक्षी दलों को बूथ स्तर पर समर्थन की कमी का सामना करना पड़े। प्रयासों से भाजपा का लक्ष्य ऐसा लगता है कि शायद बूथ पर बस्ता संभालने वाले भी ना मिलें। 

उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुनाव में आठवां उम्मीदवार उतारना पारंपरिक नहीं है। यह निर्णय पार्टी की रणनीति के तहत सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध किया गया है। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सपा से समर्थन हासिल करने की कोशिश के तहत पार्टी ने यह पहल की है। माना जा रहा है कि चुनाव में कुछ सपा विधायक बीजेपी उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं। साथ ही राज्य सरकार के तीन से चार मंत्रियों द्वारा कुछ सपा विधायकों और कुछ बसपा सांसदों को पार्टी में लाने का प्रयास किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि सपा विधायक पार्टी में शामिल होने पर उचित सम्मान और आवास की मांग कर रहे हैं, जबकि बसपा सांसद लोकसभा चुनाव में टिकट की तलाश में हैं। ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि चुनाव में उनके उम्मीदवार को बीएसपी के एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह का भी समर्थन मिलेगा। राज्यसभा चुनाव में आठ सीटें हासिल करके भाजपा का लक्ष्य उच्च सदन में अपनी स्थिति मजबूत करना और राज्य में विपक्षी दलों के लिए चुनौतीपूर्ण माहौल बनाना है, जो उनकी चुनावी तैयारियों और उनके समर्थकों के मनोबल पर असर डाल सकता है।

कुल मिलाकर ये माना जा सकता है कि पार्टी का उद्देश्य लोकसभा चुनाव से पहले रणनीतिक रूप से विपक्षी दलों के प्रभाव को कम करना है। इसे हासिल करने के लिए, बूथ से लेकर विधानसभा क्षेत्र सहित पार्टी ढांचे के भीतर विभिन्न स्तरों से समर्पित कार्यकर्ताओं को सूचीबद्ध किया जा रहा है। साथ ही पार्टी के सांसद, विधायक, पदाधिकारी और वैचारिक संगठन इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

राज्यसभा चुनाव में आठवीं सीट को पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल माना जा रहा है, जहां भाजपा उम्मीदवार संजय सेठ जीत के लिए प्रयासरत हैं। प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी और महासचिव धर्मपाल सिंह जरूरी वोट हासिल करने के लिए पूरी लगन से काम कर रहे हैं। साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और पार्टी के अन्य नेता भी सक्रिय रूप से समर्थन जुटाने की कोशिश में लगे हुए हैं। यह बताया गया है कि आठवें उम्मीदवार को मैदान में उतारने का निर्णय पार्टी नेतृत्व के उच्चतम स्तर पर किया गया था, और उनकी पसंद को मान्य करना महत्वपूर्ण है।

ऐसे में राज्यसभा के चुनाव में आठवीं सीट को लेकर इसे लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की एक रणनीतिक चाल माना जा रहा है। इसके जरिए जोड़तोड़ की राजनीति फिलहाल अपने चरम पर है। देखना है कि भाजपा की इस रणनीति से विपक्ष अपने आपको बचाने में सफल हो पाता है या नहीं। -अजय त्यागी  



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