Fri, 20 September 2024 03:32:03am
भारत के जाने-माने कानूनविद और सुप्रीम कोर्ट के अनुभवी वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन का बुधवार को 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली में आखिरी सांस ली। नरीमन का वकील के तौर पर 70 साल से ज्यादा का अनुभव रहा।
नवंबर 1950 में फली एस नरीमन बॉम्बे हाईकोर्ट में वकील के तौर पर रजिस्टर हुए। उन्हें 1961 में वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट के बाद नरीमन ने 1972 से भारत की सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। वे मई 1972 में भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नियुक्त हुए थे।
नरीमन को जनवरी 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। वहीं 2007 में उन्हें पद्म विभूषण दिया गया। वरिष्ठ वकील के साथ वे 1991 से 2010 तक बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनका कद काफी ऊंचा रहा। नरीमन 1989 से 2005 तक इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स की अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता कोर्ट के उपाध्यक्ष भी रहे। वे 1995 से 1997 तक जेनेवा के कानूनविदों के अंतरराष्ट्रीय आयोग की एग्जीक्यूटिव कमेटी के अध्यक्ष भी रहे।
पीएम मोदी ने शोक प्रकट किया
प्रधानमंत्री मोदी ने नरीमन के निधन पर शोक जताया। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि श्री फली नरीमन ने अपना पूरा जीवन आम नागरिकों को न्याय सुलभ कराने के लिए समर्पित कर दिया। उनके निधन से गहरा दुख हुआ है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। उनकी आत्मा को शांति मिले।
खरगे-राहुल ने दुख जताया
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि प्रख्यात न्यायविद्, वरिष्ठ अधिवक्ता और संवैधानिक नागरिक स्वतंत्रता के प्रबल समर्थक फली एस नरीमन का निधन कानूनी तंत्र के लिए एक बड़ी क्षति है। पद्म विभूषण से सम्मानित नरीमन की उनके सिद्धांतों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता दृढ़ और सराहनीय रही। उन्होंने कहा कि उनके परिवार, दोस्तों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
वहीं राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया कि फली नरीमन के परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी संवेदनाएं। उनके निधन से विधि समुदाय में गहरा शून्य पैदा हो गया है। उनके योगदान ने न केवल ऐतिहासिक मामलों को आकार दिया है, बल्कि हमारे संविधान की पवित्रता और नागरिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए न्यायविदों की पीढ़ियों को भी प्रेरित किया है। राहुल ने कहा कि न्याय और निष्पक्षता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनकी अनुपस्थिति में भी हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी।