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वरिष्ठ नागरिक की भलाई के लिए संपत्ति से संतान को बाहर करने का आदेश वैध, हाईकोर्ट का अहम फैसला



अजय त्यागी [Input - amarujala.com] 2024-02-21 05:47:34 चंडीगढ़

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट - फोटो : सोशल मीडिया
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट - फोटो : सोशल मीडिया

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि वरिष्ठ नागरिक की भलाई के लिए यदि जरूरी हो तो उसकी संपत्ति से संतान को बाहर करने का आदेश जारी किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने यह आदेश एयरफोर्स से रिटायर कर्मचारी के बेटे व बहू द्वारा गुरुग्राम के डीएम के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए जारी किया है।

याचिका दाखिल करते हुए नरेश कुमार व उसकी पत्नी ने हाईकोर्ट को बताया कि परिवार के संपत्ति बंटवारे में मकान उसके नाम कर दिया गया था। इसके बाद याची के पिता ने याची व उसकी पत्नी के खिलाफ पुलिस को शिकायत दे दी कि उससे बेहद बुरा व्यवहार किया जाता है और गालियां देने के साथ ही पिटाई का प्रयास भी किया गया। इसके बाद याची के पिता ने अखबार में विज्ञापन निकाल अपनी संपत्ति से उन्हें बेदखल कर दिया। 

मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट में गुरुग्राम के डीसी के पास आवेदन किया और डीसी ने 4 अगस्त 2021 को याचिकाकर्ता व उसकी पत्नी को मकान खाली करने का आदेश जारी कर दिया। याची ने कहा कि एक्ट में डीसी को यह अधिकार ही नहीं है कि वह संपत्ति खाली करने का आदेश दे सके। हरियाणा सरकार ने 2015 के एक्शन प्लान में डीसी को यह अधिकार दिया था लेकिन सिंगल बेंच ने इसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। इसके खिलाफ सरकार की अपील अभी लंबित है और सिंगल बेंच के आदेश पर रोक नहीं है।

हाईकोर्ट ने याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि सीनियर सिटीजन संपत्ति किसी के नाम करता है तो यह संपत्ति पाने वाले का कर्तव्य है कि सीनियर सिटीजन को मेंटेनेंस मिले और शारीरिक आवश्यकताएं पूरी हों। ऐसा नहीं होने की स्थिति में सीनियर सिटीजन के आवेदन पर संपत्ति का ट्रांसफर भी रद्द हो सकता है। यदि सक्षम अधिकारी को यह लगता है कि वरिष्ठ नागरिक की भलाई के लिए उसकी संपत्ति से किसी को बाहर करना जरूरी है तो इसका आदेश जारी किया जा सकता है।



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